
पौधों को एक गमले से दूसरे गमले में शिफ्ट करना (Transplanting) और एक पौधे की शाखा को दूसरे पौधे पर जोड़कर नया पौधा बनाना (Grafting) बागवानी की सबसे जरूरी स्किल है। अगर यह दोनों काम सही समय पर और सही तरीके से किए जाएं, तो पौधा तेजी से बढ़ता है, आसानी से फूल देता है और जड़ें मजबूत बनती हैं। लेकिन अगर टाइमिंग गलत हो जाए, तो पौधा शॉक में चला जाता है, पत्ते झड़ने लगते हैं और कभी-कभी पौधा मर भी सकता है। इसलिए यहां समझिए ट्रांसप्लांट का बेस्ट सीजन, बेस्ट टाइमिंग और ग्राफ्टिंग की सबसे आसान लेकिन असरदार टिप्स।
अगर आप अपने पौधों को ट्रांसप्लांट करने वाले हैं तो 3 टाइम सबसे बेस्ट हैं। पहला सर्दियों की हल्की शुरुआत (October–November), दूसरा बसंत का समय (February–March) और तीसरा रैनी सीजन खत्म होने के बाद (September)। इन मौसमों में तापमान बहुत ज्यादा नहीं होता, मिट्टी में नमी रहती है और पौधा ट्रांसप्लांटिंग शॉक से जल्दी रिकवर होता है।
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अगर आप प्लांट ट्रांसप्लांट करने वाले हैं तो सुबह 7–10 बजे या शाम 4–6 बजे इसे करें। इस समय सूरज हल्का रहता है और पौधे पर डायरेक्ट हीट नहीं पड़ती, जिससे जड़ें स्ट्रेस में नहीं जाती हैं। रातभर मिट्टी में नमी रहने से पौधा तेजी से सेट हो जाता है।
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पौधे को पहले पानी दें: ट्रांसप्लांट से 2–3 घंटे पहले मिट्टी को मॉइस्चर दें। जड़ें बिना टूटे निकलती हैं।
जड़ें न तोड़ें : Root ball को पूरा पकड़कर निकालें। अगर जड़ें बहुत गोल-गोल होकर एक-दूसरे में लिपटी हों, तो सिर्फ ऊपर से हल्का-सा ढीला करें।
नई मिट्टी न्यूट्रिएंट वाली रखें: इसके लिए 40% Garden Soil, 30% Cocopeat, 20% Compost (Vermicompost) और 10% Sand/Perlite
ट्रांसप्लांट के बाद फर्टिलाइजर न डालें: कम से कम 10–12 दिन बाद हल्का कम्पोस्ट दें।
2–3 दिन छांव में रखें: सीधे सूरज में रखेंगे तो पौधा शॉक में जा सकता है।
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