
हेल्थ डेस्क : देशभर में वायु प्रदूषण तेजी से पैर पसार रहा है। अब एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण सीधा-सीधा हर व्यक्ति की आयु पर प्रभाव डाल रहा है और इससे उसका जीवन कम हो रहा है। शोध में पता चला है कि सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) वायु प्रदूषण के कारण एक औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा 5.3 वर्ष कम हो जाती है, और दिल्ली (देश का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता है) में यह 11.9 वर्ष तक कम हो जाती है। शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी) में ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा जारी अद्यतन वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, डेटा की तुलना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मानकों से की गई थी।
वायु प्रदूषण बढ़ा रहा मृत्यु दर?
डॉक्टर बताते हैं कि कैसे निम्न वायु गुणवत्ता मृत्यु दर को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। वायु प्रदूषण का मृत्यु दर में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता होने के कारण यह फेफड़ों, हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क को पूरी तरह से निशाना बना रहा है। यह धीरे-धीरे शरीर की प्रणाली पर हानिकारक प्रभाव भी डालता है। अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अर्जुन खन्ना का कहना है कि समय के साथ, हमें यह एहसास हुआ है कि वायु प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से कई वर्षों का उत्पादक व्यावसायिक जीवन नष्ट हो सकता है।
हृदय रोग और कैंसर का कराण वायु प्रदूषण?
सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी के प्रमुख डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर के अनुसार, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5), ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएं, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर भी हो सकता है। समय के साथ, ये स्वास्थ्य प्रभाव जीवन प्रत्याशा को कम कर सकते हैं। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों को कमजोर बना सकते हैं। वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयासों से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और संभावित रूप से जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हो सकती है। अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में मृत्यु दर अधिक होती है।
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