जब गेहूं-जौ सहित इन 4 देसी तरीकों से होता था प्रेग्नेंसी टेस्ट

केवल कुछ मिनटों में गर्भावस्था परीक्षण अब संभव हो गया है। लेकिन पहले ऐसी सुविधा नहीं थी। महिलाओं को यह पुष्टि करने के लिए बहुत समय इंतजार करना पड़ता था कि वे गर्भवती हैं या नहीं।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 14, 2024 9:03 AM IST

गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy test) करना अब आसान है। प्रेग्नेंसी किट (Pregnancy Kit) खरीद कर, घर पर ही महिलाएं गर्भावस्था परीक्षण कर लेती हैं। लेकिन पहले ऐसा नहीं था। घर पर ही प्रसव होने वाली महिलाओं को, उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती थी। गर्भावस्था परीक्षण भी कठिन था। पीरियड्स मिस होने पर हर बार महिला गर्भवती हो, ऐसा नहीं होता था। इसलिए गर्भावस्था परीक्षण अनिवार्य था। प्राचीन मिस्र (Ancient Egypt) में महिलाएं गर्भावस्था परीक्षण करने के लिए अपना ही एक तरीका अपनाती थीं। वे परीक्षण के लिए गेहूं और जौ ( Wheat and Barley) का उपयोग करती थीं।

जौ – गेहूं के जरिए प्रेग्नेंसी टेस्ट : प्राचीन मिस्र में महिलाएं गर्भावस्था परीक्षण के लिए जौ और गेहूं पर यूरिन करती थीं। लेकिन उन्हें तुरंत परिणाम नहीं मिलता था। उन्हें कुछ दिन इंतजार करना पड़ता था। जौ और गेहूं में अंकुर फूटने लगे तो महिला गर्भवती मानी जाती थी। अगर जौ या गेहूं में से किसी में भी अंकुर नहीं आते थे तो उसे गर्भवती नहीं माना जाता था। यहीं से वे बच्चे के लिंग का भी निर्धारण करते थे। जौ में अंकुर आने पर लड़का और गेहूं में अंकुर आने पर लड़की होने की मान्यता थी। 

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विज्ञान क्या कहता है? : प्राचीन काल में ही लोग काफी ज्ञान रखते थे, यह इससे पता चलता है। वैज्ञानिक भी इस तरीके को मानते हैं। गर्भवती महिला के मूत्र में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है। यह जौ या गेहूं के बीजों को अंकुरित होने में मदद करता है। लेकिन गर्भवती नहीं होने पर ऐसा नहीं होता है। 

प्रेग्नेंसी परीक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीके : 

लहसुन / प्याज (Garlic / Onion) : प्राचीन मिस्र की महिलाएं लहसुन और प्याज का भी अपने परीक्षण के लिए उपयोग करती थीं। वे अपनी योनि में लहसुन रखकर सोती थीं। सुबह महिला की सांसों से लहसुन की गंध आने पर उसे गर्भवती नहीं माना जाता था। गर्भ में पल रहा भ्रूण, लहसुन या प्याज की गंध को ऊपर नहीं आने देता है। अगर सांसों से लहसुन की गंध नहीं आती थी तो उसे गर्भवती माना जाता था। 

आंखों का परीक्षण ( Eye Test) : आंखों में होने वाले बदलाव से भी महिला के गर्भवती होने का पता लगाया जाता था। 16वीं शताब्दी में चिकित्सक जैक्स गुइलमू ने इस बारे में बताया था। गर्भवती महिला की आंखें सूजी हुई होती हैं। आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती हैं। साथ ही आंखों के आसपास सूजन आ जाती है।

ताले का परीक्षण (Lock Test) : 15वीं शताब्दी में महिलाएं ताले के इस तरीके का इस्तेमाल करती थीं। दरवाजे पर लगने वाले ताले पर वे यूरिन करती थीं। कुछ देर बाद ताले पर निशान दिखने पर महिला को गर्भवती माना जाता था। 

 

टूथपेस्ट परीक्षण (Toothpaste Test) : यह प्राचीन काल का तरीका नहीं है। हाल के दिनों में भी कुछ लोगों ने इस तरीके का इस्तेमाल किया है। एक बर्तन में टूथपेस्ट डालकर उस पर महिलाएं यूरिन करती थीं। पेस्ट में झाग आने पर उसे गर्भवती माना जाता था। 

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