तो क्या मंकीपॉक्स से मिलेगी राहत? WHO ने पहली एमपॉक्स वैक्सीन को दिखाई हरी झंडी

Published : Sep 14, 2024, 10:42 AM ISTUpdated : Sep 14, 2024, 01:01 PM IST
Mpox

सार

WHO ने पहली मंकीपॉक्स वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। बवेरियन नॉर्डिक की MV-BN वैक्सीन को शामिल किया गया है, जो मंकीपॉक्स के संक्रमण को कम करने में 80% तक प्रभावी है। जानिए मंकीपॉक्स वैक्सीन की पूरी जानकारी।

हेल्थ डेस्क: लंबे समय से दुनिया भर में अपना कहर बरपाने वाले मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ एक अच्छी खबर मिली है। WHO ने मंकीपॉक्स के लिए पहली वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। गुरुवार को डब्लूएचओ ने बवेरियन नॉर्डिक वैक्सीन को मंजूरी दी। जानिए एमपॉक्स वैक्सीन के बारे में अहम जानकारी।

प्रीक्वालिफाइड एमपॉक्स वैक्सीन

WHO ने मंकीपॉक्स वैक्सीन के लिए बवेरिन नॉर्डिक एयएस की बनाई MV-BN वैक्सीन के खिलाफ प्रीक्वालीफाइड वैक्सीन को लिस्ट में शामिल किया है। इस बारे में WHO ने एक ऑफीशियल स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि उस कम्यूनिटी के लिए वैक्सीन बहुत जरूरी है जो मंकीपॉक्स से जूझ रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन का प्रभाव संक्रमण को कम करने में मदद करेगा।

मंकीपॉक्स के वैश्विक आपातकाल घोषित होने के बाद यकीनन संक्रमित देशों के लिए वैक्सीन की मंजूरी खुशखबरी से कम नहीं है। अमेरका, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम आदि में वैक्सीन को स्वीकृति मिली है। WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम ने कहा कि एमपॉक्स के खिलाफ विकिसित वैक्सीन अफ्रीकी देशों में बीमारी के कहर को कम करने के लिए अच्छा कदम है।

मंकीपॉक्स वैक्सीन की प्रभाविकता

मंकीपॉक्स वैक्सीन 18 साल या फिर उससे ज्यादा की उम्र के लोगों को दी जाने वाली वैक्सीन है। इस वैक्सीन की दो खुराक को चार सप्ताह के अंदर दिया जाता है। वहीं वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर करीब 8 हफ्ते के लिए स्टोर किया जा सकता है।ऐसा माना जा रहा है कि वैक्सीन की एक खुराक 76% इफेक्टिव है वही दो खुराक लेने पर 80% सुरक्षा मिलती है।

अफ्रीका में मकीपॉक्स का ज्यादा कहर

आपको बताते चले कि मंकीपॉक्स संक्रमण के लक्षण पहली बार 1970 में कान्गो के 9 महीने के बच्चे में देखने को मिले थे। करीब 11 अफ्रीकी देशों में एमपॉक्स के लक्षण देखने को मिले। चूंकि बंदरों में एमपॉक्स के लक्षण देखने को मिले तो इस वायरस का नाम मंकीपॉक्स रख दिया गया। माना जाता है कि अफ्रीका से ही एशिया के बंदरों में एमपॉक्स वायरस फैला था।

भारत में भी मिल चुका है मंकीपॉक्स का केस

भारत में 8 सितंबर 2024 को एमपॉक्स से संक्रमित एक व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली थी। बताया गया था कि व्यक्ति विदेशी यात्रा के दौरान संक्रमित हुआ। भारत पहुंचने के बाद उसे आइसोलेशन में रखा गया था।

फिजिकल या सेक्शुअल कॉन्टेक्स से फैलता है एमपॉक्स

एमपॉक्स के वायरस संक्रमित व्यक्ति या फिर संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से आसानी से फैलते हैं। वहीं संक्रमित व्यक्ति से फिजिकल रिलेशन भी इस वायरस को फैलाने में मदद करता है। संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर, तौलिया, बर्तन, सलाइवा , गर्भ में मां से बच्चे को या फिर स्किन कॉन्टेक्स से वायरस स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित करता है।

एमपॉक्स संक्रमण होने पर स्किन में लाल चकत्ते, खरोंच जैसे निशान, चेचक की तरह मवाद वाले दाने, मसल्स में दर्द आदि ल क्षण दिखते हैं। अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

और पढ़ें: डायबिटीज को कैसे करें कंट्रोल? दोपहर के खाने में क्या खाएं-क्या न खाएं?

आखिर क्यों बनने लगते हैं त्वचा में काले उभरे हुए से ब्लैकहेड्स?

PREV

Recommended Stories

शुगर मशीन से एयर प्यूरीफायर तक, 2025 में छाए 5 हेल्थ गैजेट
India Health: 2026 तक डरावनी 6 हेल्थ महामारी की आशंका! रिपोर्ट चौंका देने वाली