बच्चों को कान दर्द? हो सकते हैं ये कारण, घर में ऐसे करें इलाज

Published : Jun 09, 2025, 04:32 PM ISTUpdated : Jun 09, 2025, 04:33 PM IST
ear infection

सार

Ear pain in kids home remedy: अगर आपका बच्चा बार-बार कान में दर्द की शिकायत करता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से सलाह लें। समय पर इलाज न होने पर यह आम समस्या गंभीर रूप ले सकती है।

बच्चे अक्सर कान दर्द, खुजली या कान से पानी या मवाद आने जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। खासकर दूध पीने वाले बच्चों से लेकर छह साल तक के बच्चे इस तरह की समस्याओं का ज्यादा शिकार होते हैं। छोटे बच्चों के कान की यूस्टेशियन ट्यूब पूरी तरह से विकसित नहीं होती, इसलिए थोड़ी सी भी वजह से कान में इंफेक्शन या सूजन हो सकती है। कई बार माता-पिता इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

कान दर्द के संभावित कारण

  • कान में मैल जमना, पानी जाना या किसी तरह का इंफेक्शन।
  • बहुत छोटे बच्चों के मामले में, दूध पिलाते समय अगर उनका सिर थोड़ा ऊंचा न रखा जाए, तो दूध उनके कान में जा सकता है।
  • 8-12 साल की उम्र तक बच्चों के कान के अंदर की यूस्टेशियन ट्यूब पूरी तरह से विकसित नहीं होती। अगर बच्चों को टॉन्सिल की समस्या है, तो दर्द बढ़ सकता है।
  • डॉ. प्रियंकर पाल कहते हैं, कई बार गले में फेरिंजाइटिस होने पर भी कान में दर्द होता है क्योंकि यूस्टेशियन ट्यूब गले और कान को जोड़ती है। इसी तरह, नाक या गले की एलर्जी से भी कान की समस्या हो सकती है।

कान दर्द में इलाज के तरीके

  1. छोटे बच्चों के मामले में शुरुआत में हल्की गर्म सिकाई की जा सकती है।
  2. पैरासिटामोल से दर्द को कुछ समय के लिए कम किया जा सकता है।
  3. डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक से इंफेक्शन को रोकने की कोशिश की जाती है।
  4. दवा, ड्रॉप्स इस्तेमाल करने के 6-7 हफ्ते बाद भी अगर कान में दर्द बना रहता है, तो दोबारा जांच करवाना जरूरी है।

सावधानियां और सलाह

  1. बच्चों में बीच वाले कान से नाक के पीछे तक जुड़ी यूस्टेशियन ट्यूब छोटी, चौड़ी और लगभग सीधी होती है। कई बार जल्दबाजी में पानी या दूध पिलाने पर वह नाक के रास्ते इस ट्यूब से होते हुए बीच वाले कान में चला जाता है। बाद में यह संक्रमित होकर मवाद बना सकता है। इसलिए बच्चे को दूध पिलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
  2. कई बार गले में स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर यह दिमाग तक फैल सकता है। ऐसे में बच्चे को दौरे पड़ सकते हैं। हाथ-पैरों में कमजोरी आ सकती है, देखने में भी समस्या हो सकती है। अगर जल्दी इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।
  3. कान साफ करने के लिए रुई वाले 'स्टिक' का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। खाना खाते समय, बात करते समय या चलते-फिरते समय कान की मांसपेशियों की गतिविधि से कान का मैल खुद-ब-खुद बाहर आ जाता है। उल्टा, रुई वाले स्टिक या किसी नुकीली चीज से कान का मैल साफ करने की कोशिश करने पर इंफेक्शन हो सकता है।
  4. इस मौसम में कभी धूप, कभी बारिश होती है, इसलिए जितना हो सके सर्दी-खांसी या जुकाम से बचें, कान की समस्या उतनी ही कम होगी।

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