Father's day: शराब पीने से लेकर स्पर्म काउंट तक पुरुषों से जुड़े 8 ऐसे मिथक,जिसका सच जानना जरूरी

पुरुष महिलाओं की तुलना में हेल्थ को लेकर ज्यादा लापरवाह होते हैं।मेन्स हेल्थ फोरम ने पाया कि ब्रिटिश पुरुष महिलाओं की तुलना में 20% कम डॉक्टर के पास जाते हैं। इसके पीछे वजह है हेल्थ से जुड़े कुछ मिथ जिसपर वो भरोसा करते हैं। जिसका सच जानना जरूरी है।

Nitu Kumari | Published : Jun 18, 2023 3:10 AM IST / Updated: Jun 18 2023, 11:22 AM IST

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फादर्स डे (Father's day 2023:) पर हेल्थ से जुड़े मिथकों को दूर करने का वक्त आ गया है। जो पुरुषों को ट्रीटमेंट की मांग करने से रोकता है। अपने पिता, पति, ब्वॉयफ्रेंड और मेल फ्रेंड को बताए कि हेल्थ उनके लिए कितना जरूरी है। उन्हें उन मिथकों से दूर रहने के लिए कहें जो उन्हें अस्पताल जाने से रोकते हैं। तो चलिए बताते हैं 10 ऐसे मिथक जिसका सच जानना जरूरी है।

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1.तनाव दूर करने के लिए पीना जरूरी

वीक में थोड़ा सा पीना कोई चिंता का विषय नहीं होता है। लेकिन बुरी आदतों में पड़ना आसान है। पीने से तनाव दूर होता है ये गलत है। देखना ये चाहिए कि तनाव आपको क्यों हो रहा है। तनाव की आड़ में शराब की लत लग जाना आसान है। इस मिथक को दूर कर लीजिए कि इसके पीने से आप राहत महसूस करते हैं। बल्कि ये आपकी सेहत को उल्टा नुकसान पहुंचाता है। इससे बेहतर है कि तनाव के कारण को समझे और उसे दूर करने की कोशिश करें। इसके लिए आप हेल्थ एक्सपर्ट की भी मदद ले सकते हैं।

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2.साइकिल चलाने से स्पर्म काउंट घटता है

वाकई यह दिलचस्प है जो पुरुष ऐसा सोचते हैं। साइकलिंग से स्पर्म काउंट बिल्कुल कम नहीं होता है। लेकिन टाइट शॉर्ट्स से टेस्टिकल्स गर्म होने के कारण हो सकते हैं। जिसकी वजह से स्पर्म काउंट कम हो सकता है। वहीं साइकलिंग से इस तरह की कोई समस्या नहीं होती है। बल्कि यह फर्टिलिटी को बढ़ाता है।

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3.पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस नहीं होता है

ये भी पुरुषों में एक धारणा है कि ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार सिर्फ महिलाएं होती हैं। पुरुषों में यह रोग नहीं होता है। ये सच है कि महिलाओं में इस बीमारी का ज्यादा असर होता है पुरुषों की तुलना में। लेकिन ऐसा नहीं कि पुरुष इसके शिकार नहीं होते हैं। महिलाएं अपने उम्र के 50वें दशक में हड्डियों के घनत्व को खो देती है। जबकि पुरुषों में उनती गिरावट नहीं होती। हड्डियों की मजबूत के लिए पुरुष और महिला दोनों को स्ट्रेथ ट्रेनिंग लेनी चाहिए।

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4.टेंशन पर बात करने से कोई फायदा नहीं है ये चीजों को खराब कर देती है

पुरुष अक्सर इस बात पर यकीन करते हैं।वो अपनी समस्याओं को साझा करने पर यकीन नहीं करते हैं। जिसकी वजह से वो अंदर ही घुटते रहते हैं। डिप्रेशन, हार्ट अटैक, आत्महत्या जैसी चीजें पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती है। इस धारणा से पुरुषों को निकलने की जरूरत है और चिंताओं पर बात करना ज्यादा हेल्थ के लिए फायदेमंद होगा।

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5.पुरुषों के लिए खर्राटा लेना सामान्य

खर्राटा पुरुष और महिला दोनों लेते हैं। लेकिन यह सामान्य नहीं हो सकता है। वजन बढ़ना,स्लीप एपनिया हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और अवसाद से भी यह जुड़ा होता है। इसलिए खर्राटा को सामान्य समझने से अच्छा वजन को कम करें और हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लें।

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6.ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों को नहीं होता है

ये भी एक मिथक है कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं को होता है पुरुषों को नहीं।के में प्रति वर्ष लगभग 400 पुरुषों को स्तन कैंसर होता है। कारक जो मोटापे, शराब का सेवन और पारिवारिक इतिहास सहित जोखिम को बढ़ाते हैं। इसलिए पुरुषों को भी लगातार इसकी जांच करानी चाहिए।

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7.पुरुषों में प्रजनन क्षमता उम्र के साथ नहीं होती प्रभावित

अक्सर पुरुषों को यह कहते सुना होगा कि महिलाओं को 40 के बाद मां बनने में दिक्कत हो सकती है। उनकी फर्टिलिटी कम हो जाती है। लेकिन मेल में यह देखने को नहीं मिलता है। ये सच है कि महिलाओं की फर्टिलिटी मेनोपॉज के बाद खत्म हो जाती है। जबकि पुरुषों में मेनोपॉज नहीं होने की वजह से ज्यादा उम्र तक फर्टिलिटी बनी रहती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि गिरावट नहीं होती है।

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8.आपके पिताजी को प्रोस्टेट कैंसर नहीं था तो आपको कभी नहीं होगा

यह भी एक तरह का मिथक ही है।प्रोस्टेट कैंसर का पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन कोई भी व्यक्ति प्रतिरक्षा नहीं है। ये कभी भी किसी को भी हो सकता है।आपको बिना किसी लक्षण के प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है। इसलिए हमेशा हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए।

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