
Forest Bathing: आज की तेज रफ्तार जिंदगी, शहरों का शोर, स्क्रीन पर टिकी आंखें और हर पल की भागदौड़ ने हमारी शांति और मानसिक स्थिरता पर गहरा असर डाला है। ऐसे माहौल में अगर कोई कहे कि बस पेड़ों के बीच कुछ वक्त बिताकर आप तनाव, थकान और चिंता को दूर कर सकते हैं, तो शायद यकीन करना मुश्किल हो। लेकिन जापान ने दशकों पहले ही इस रहस्य को पहचान लिया। वहां डॉक्टर अब भी मरीजों को जंगल में जाने यानी Forest Bathing की सलाह देते हैं। यह कोई फैंसी ट्रेंड नहीं, बल्कि 1980 के दशक से वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नेचुरल थेरेपी है, जिसे जापानी में कहा जाता है "Shinrin-yoku"। इसका मकसद जंगल के बीच रहकर अपने शरीर और मन को रिचार्ज करना और पांचों इंद्रियों के जरिए प्रकृति से जुड़ना है। यही वजह है कि अब दुनिया भर के डॉक्टर, थेरेपिस्ट और माइंडफुलनेस ट्रेनर इस जादुई तकनीक को अपनाने लगे हैं।
शब्द ‘Forest Bathing’ का अर्थ है जंगल में नहाना, लेकिन पानी से नहीं बल्कि प्राकृतिक माहौल में पूरी तरह डूब जाना। इस थैरेपी में व्यक्ति पेड़ों के बीच चलता है, हवा की महक महसूस करता है, पत्तियों की आवाज सुनना है, सूरज की किरणों को देखता है और जमीन के स्पर्श को महसूस करता है। यानी शरीर के पांचों इंद्रियों को प्रकृति से जोड़ दिया जाता है।
1980 के दशक में जापान के हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस तकनीक को मेंटल व फिजिकल हेल्थ के लिए प्रमोट करना शुरू किया। शोधों के अनुसार, Forest Bathing से
आज की शहरी जिंदगी में इंसान Concrete Jungle में तो रहता है, लेकिन असली जंगल से कटता जा रहा है। डिजिटल स्क्रीन, ट्रैफिक, शोर और लगातार भागदौड़ ने मानसिक शांति छीन ली है। ऐसे में Shinrin-yoku एक मेडिटेटिव टूल बनकर उभरा है जो बिना साइड इफेक्ट के दवा से कहीं अधिक राहत देता है।