
हेल्थ डेस्क। आजकल बच्चों की परवरिश आसान नहीं है। सिर्फ़ बच्चे पैदा करने से काम नहीं चलता, उन्हें पालना, पढ़ाना और उनके करियर बनाने तक साथ देना ज़रूरी है। पाँच साल से ज़्यादा उम्र के बच्चों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ये बताना आसान है। लेकिन छोटे बच्चों को हमारी बातें समझ नहीं आतीं। खासकर एक साल से कम उम्र के बच्चों को तो कुछ भी नहीं सिखा सकते। उन्हें पेशाब और शौच के बारे में कुछ पता नहीं होता। इसलिए हम उन्हें डायपर पहनाते हैं। लेकिन क्या बच्चों को डायपर पहनाना सही है? अगर पहनाते भी हैं, तो कितनी देर में बदलना चाहिए? आइए जानते हैं...
बहुत से लोग बच्चों को डायपर पहनाते हैं। लेकिन आजकल डिस्पोजेबल डायपर के अलावा दोबारा इस्तेमाल होने वाले कपड़े के डायपर भी बाज़ार में आ गए हैं। इन्हें इस्तेमाल करना बेहतर है। इस्तेमाल के बाद इन्हें धोकर, धूप में सुखाकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
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नवजात शिशुओं के कपड़े के डायपर हर घंटे बदलें। 4-5 महीने के बच्चों के लिए हर 3-4 घंटे में डायपर बदलना काफ़ी होता है। डायपर में मौजूद जेल नमी सोख लेता है। डायपर सिंथेटिक पॉलीमर और सेल्युलोज़ फ़ाइबर से बनते हैं।
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बच्चे का पेशाब 2-3 घंटे तक कोई समस्या नहीं करता। लेकिन अगर बच्चा शौच करता है, तो डायपर का जेल और मल मिलकर रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे बच्चे को डायपर रैशेज़ हो सकते हैं। इसलिए बच्चे की उम्र के हिसाब से रोज़ाना 5-6 डायपर या कपड़े के नैपकिन बदलने चाहिए।
बच्चों को लंबे समय तक डायपर पहनाकर रखना ठीक नहीं है। बच्चों की त्वचा को हवा लगना ज़रूरी है। डायपर पहनाने से पहले त्वचा पर नारियल तेल लगाएँ। बच्चे के पेशाब और शौच को साफ़ करने के लिए बेबी वाइप्स की बजाय गीले सूती कपड़े का इस्तेमाल करें।
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