Marburg Virus का कहर: क्या यह इबोला से भी ज़्यादा ख़तरनाक है?

Published : Oct 08, 2024, 04:20 PM ISTUpdated : Oct 08, 2024, 04:21 PM IST
Marburg Virus का कहर: क्या यह इबोला से भी ज़्यादा ख़तरनाक है?

सार

रवांडा में मारबर्ग वायरस से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। यह घातक वायरस इबोला के समान है और इससे आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है। जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाले इस वायरस से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

अफ्रीकी देश रवांडा में मारबर्ग वायरस से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले महीने के अंत में सामने आए इस वायरस से रक्त वाहिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंचता है जिससे आंतरिक रक्तस्राव और मृत्यु हो सकती है। रक्तस्राव और अंग विफलता का कारण बनने वाला यह घातक वायरस प्रभावित लोगों में 88 प्रतिशत तक मृत्यु दर का कारण बनता है। यह इबोला के समान एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरस है। 

वायरस से मरने वालों में अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। मारबर्ग वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य रूप से फल खाने वाले चमगादड़ ही वायरस के वाहक होते हैं। संक्रमित लोगों के शारीरिक स्राव के संपर्क में आने से वायरस फैलता है।

1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट और सर्बिया के बेलग्रेड में पहली बार वायरस का प्रकोप दर्ज किया गया था। तब से, अंगोला, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा सहित विभिन्न देशों में इसके मामले सामने आए हैं। 2008 में, युगांडा में एक गुफा में जाने वाले पर्यटकों में यह बीमारी पाई गई थी। 

लक्षण 

तेज बुखार, तेज सिरदर्द, शरीर में दर्द, शरीर के अंदर और बाहर रक्तस्राव, मांसपेशियों में दर्द, मेनिन्जाइटिस, नर्वस सिस्टम फेल होना, पेट दर्द, दस्त, उल्टी और मतली मारबर्ग वायरस संक्रमण के सामान्य लक्षण हैं। आंखें धंस जाना, चेहरे पर भावों की कमी और अत्यधिक थकान भी इस वायरस से संक्रमित रोगियों में देखी जा सकती है।  

वायरस के शरीर में प्रवेश करने के दो से 21 दिनों के भीतर लक्षण दिखाई देते हैं। बीमारी से बचने के लिए बचाव के तरीके अपनाने चाहिए। साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।  

ध्यान दें: अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो कृपया सेल्फ मेडिकेट न करें और तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। बीमारी की पुष्टि तभी करें जब डॉक्टर ऐसा कहे।

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