
Pregnancy Mistakes: मां बनना हर महिला के लिए सौभाग्य और भावनाओं से भरा अनुभव होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला यह सोचकर रोमांचित होती है कि उसके गर्भ में एक नई ज़िंदगी पल रही है। जब वह अल्ट्रासाउंड में पहली बार अपने बच्चे की धड़कन सुनती है, तो वह एहसास शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है। लेकिन इस सुनहरे अनुभव के साथ-साथ ज़रूरी है कि गर्भवती महिला अत्यधिक सतर्कता और सावधानी बरते। क्योंकि उसकी छोटी सी लापरवाही भी गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
क्या होता है 'प्लास्टिक बेबी'?
‘प्लास्टिक बेबी’ का मतलब यह नहीं है कि बच्चा प्लास्टिक जैसा होगा, बल्कि इसका मतलब है कि ऐसा बच्चा जो गर्भ में रहते हुए प्लास्टिक से निकलने वाले हानिकारक केमिकल्स के संपर्क में आने से विकसित हुआ हो। ऐसे बच्चों को भविष्य में कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे हार्मोनल असंतुलन, न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी, मोटापा, डायबिटीज़ या समय से पहले यौवन (early puberty)।
प्लास्टिक की बोतल या कंटेनर में रखे पानी को नहीं पीना चाहिए। पानी प्लास्टिक में रखने से उसमें मौजूद हानिकारक केमिकल्स भोजन में घुल सकते हैं। इसे लगातार पीने की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे का हार्मोनल बैलेंस बिगड़ सकते हैं।
गर्भवती महिला को प्लास्टिक के बर्तन में खाना गर्म करके खाने से भी बचना चाहिए। प्लास्टिक के बर्तन में खाना जब अवन में गर्म करते हैं तो यह जहरीले केमिकल छोड़ते हैं जो बच्चे के सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।
ऐसे फूड्स जो प्लास्टिक पैकिंग में आते हैं इसके सेवन से भी गर्भवती महिला को बचना चाहिए। ये गर्भ में पल रहे बच्चे के मेंटल और फिजिकल डेवलपमेंट पर असर डाल सकते हैं।
कुछ ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी माइक्रोप्लास्टिक और हॉर्मोन डिसरप्टिंग एजेंट्स पाए जाते हैं। इसलिए डॉक्टर गर्भवती महिला को ज्यादा कॉस्मेटिक्स इस्तेमाल करने से मना करते हैं।
प्लास्टिक का इस्तेमाल जब मां करती है तो गर्भ में पल रहे बच्चे के न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट पर असर होता है। इसके अलावा थायरॉइड की दिक्कत हो सकती है। हार्मोन असंतुलित हो सकता है। मोटापा और डायबिटीज बीमारियों का खतरा हो सकता है। इसके साथ ही लड़कियों को वक्त से पहले पीरियड्स आ सकते हैं।
प्लास्टिक के बर्तन और बोतल की जगह स्टील, कांच और मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। फास्ट फूड और पैक्ड फूड से दूरी बनाएं रखें। ऑर्गेंनिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। हेल्दी खाना खाएं।