2 साल बाद भी शरीर से खत्म नहीं हुआ कोरोना, मरीज अब तक कर रहे इन दिक्कतों का सामना

Brain Function Struggle After Covid: शोधकर्ताओं ने यह समझने के लिए हजारों लोगों का परीक्षण करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है कि कोविड ​​ने मस्तिष्क फंक्शन को कैसे प्रभावित किया है और ये लक्षण कितने समय तक बने रहते हैं।

हेल्थ डेस्क: कोरोना से अब दुनिया लगभग पूरी तरह से उभर आई है। लेकिन अब पोस्ट कोविड को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। इसी बीच यूनाइटेड किंगडम में प्रकाशित शोध में पाया गया है कि लॉन्ग कोविड के विनाशकारी न्यूरोलॉजिकल प्रभाव कम से कम दो साल तक बने रह सकते हैं। जर्नल ईक्लिनिकलमेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जिन लोगों ने कोविड ​​से संक्रमित होने के बाद कम से कम 12 सप्ताह तक लंबे समय तक रहने वाले लक्षणों की सूचना दी, उनमें संक्रमण के बाद दो साल तक मेमोरी, रीजनिंग और मोटर कंट्रोल के परीक्षणों में कम प्रदर्शन देखा गया।

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने यह समझने के लिए हजारों लोगों का परीक्षण करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है कि कोविड ​​ने मस्तिष्क फंक्शन को कैसे प्रभावित किया है और ये लक्षण कितने समय तक बने रहते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के एक वरिष्ठ पोस्टडॉक्टरल डेटा वैज्ञानिक नाथन चीथम ने अध्ययन का नेतृत्व किया। उन्होंने खुलासा किया कि इससे उन्हें यह निर्धारित करने की अनुमति मिली कि कोविड का प्रभाव कितना बड़ा है और कौन सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।

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कोरोना के बाद मस्तिष्क पर पड़ रहा सीधा असर

दुनिया भर में लोगों ने लॉन्ग कोविड के लक्षणों की सूचना दी है। मीडिया आउटलेट ने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लाखों लोग लक्षणों से पीड़ित हैं। लॉन्ग कोविड के लक्षणों में थकान, श्वसन और हृदय संबंधी समस्याएं, पाचन समस्याएं और मस्तिष्क कोहरे जैसे तंत्रिका संबंधी मुद्दे शामिल हो सकते हैं। न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में ब्रेन फॉग, सुन्नता, झुनझुनी, सिरदर्द, चक्कर आना, धुंधली दृष्टि, टिनिटस और थकान शामिल हैं। नॉर्डविग ने कहा कि ये लक्षण दुर्भाग्य से कुछ मामलों में तीन साल से अधिक बने रहते हैं और कई बार हल्के कोविड संक्रमण के बाद भी ऐसे देखने को मिला है।

3,335 लोगों पर हुई रिसर्च में हुआ खुलासा

लंबे समय तक कोविड रोगियों में मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं के सबसे आम लक्षण देखे गए। मेयो क्लिनिक में कोविड एक्टिविटी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के मेडिकल डायरेक्टर ग्रेग वानीचकचोर्न ने मीडिया आउटलेट को बताया, ‘हम देखते हैं कि बहुत से लोग अपनी थकान और सहनशक्ति जैसी शारीरिक चीजों से कठिनाई हुई। बहुत से लोगों को कामकाज जारी रखने के लिए स्थायी रूप से अनुकूलन करना पड़ता है।’ साल 2021 में, किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके 3,335 प्रतिभागियों का अवलोकन किया। शोध से पता चला कि जो प्रतिभागी 12 सप्ताह या उससे अधिक समय से लंबे समय तक कोविड के लक्षणों का अनुभव कर रहे थे, उनमें कॉग्नेटिव कमी काफी अधिक पाई गई।

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