10 में से 4 महिलाएं PCOS पीड़ित, 4 Lifestyle Tips से दूर-दूर तक नहीं भटकेगी बीमारी

PCOS Awareness Month 2023: पीसीओएस आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 10 में से 3 से 4 महिलाओं को पीसीओएस का अनुभव हो सकता है। आज से ही लाइफस्टाइल में अपनाएं 4 टिप्स।

Shivangi Chauhan | Published : Sep 6, 2023 6:12 AM IST

हेल्थ डेस्क: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) दुनियाभर में एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों प्रभावित है। यह आनुवांशिक, हार्मोनल डिसबैलेंस, मेटाबॉलिज्म और प्रजनन संबंधी पहलूओं पर असर डालता है। साथ ही इस बीमारी में अक्सर एण्ड्रोजन या पुरुष हार्मोन एक फीमेल बॉडी में ऊंचे स्तर तक बढ़ जाते हैं। पीसीओएस आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है और इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है, जिसमें बांझपन की संभावना भी शामिल है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 10 में से 3 से 4 महिलाओं को पीसीओएस का अनुभव हो सकता है।

PCOS से बढ़ता है टाइप 2 मधुमेह

जैसा कि सितंबर, पीसीओएस जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना और निवारक उपायों का पता लगाना अनिवार्य है। इस वर्ष पीसीओएस जागरूकता माह का उद्देश्य इस स्थिति के बारे में और अधिक शोध व ज्ञान को बढ़ावा देना है। इसकी व्यापकता को देखते हुए, यह 18 से 44 वर्ष की आयु की लगभग 20 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है और बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। पीसीओएस की पुनरावृत्ति आम है, लेकिन समय पर उपचार से टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और एंडोमेट्रियल समस्याओं जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं के जोखिम काफी कम हो जाते हैं। इस स्थिति के विकास के जोखिम को कम करने के लिए आप आज से ही अपनी लाइफस्टाइल में ये 4 टिप्स जरूर फॉलो करें।

नियमित एक्सरसाइज: 

अतिरिक्त वजन पीसीओएस के लिए प्राथमिक ट्रिगर है। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की आदत बनाएं। किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि फायदेमंद है - चाहे वह चलना, दौड़ना या घरेलू कसरत हो। दैनिक व्यायाम, विशेष रूप से एक्सरसाइज जो पेट की चर्बी को कम करने के लिए पेट के निचले हिस्से को टारगेट करते हैं। भले ही आपका वजन स्थिर रहता है, बेहतर फिटनेस स्तर फर्क ला सकता है।

हर्बल सप्लीमेंट: 

कुछ जड़ी-बूटियां पीसीओएस को रोकने में सहायता कर सकती हैं। मेथी या मेथी के पत्तों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और तुलसी या तुलसी के पत्तों को नियमित रूप से चबाएं। ये जड़ी-बूटियां इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं, क्योंकि पीसीओएस रोगियों में अक्सर इंसुलिन का स्तर बढ़ा हुआ होता है। इसके अतिरिक्त, शहद, नींबू और पानी के मिश्रण पर विचार करें, क्योंकि ये प्राकृतिक पदार्थ पीसीओएस की शुरुआत में देरी कर सकते हैं।

स्ट्रैस मैनेजमेंट: 

आधुनिक जीवन तनावपूर्ण है और पुराना तनाव पीसीओएस में योगदान दे सकता है। हमेशा तनाव कम करने को प्राथमिकता दें। योग, प्राणायाम जैसी विश्राम तकनीकों और सूर्य नमस्कार, ध्यान जैसी दैनिक प्रथाओं को फॉलो करें। बाहर समय बिताएं, ताजी हवा में सांस लें, परिवार और दोस्तों के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं। ये प्रयास विश्राम और कल्याण में योगदान दे सकते हैं।

संतुलित डाइट: 

आपकी डाइट, पीसीओएस विकसित होने के जोखिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमेशा पौष्टिक और संतुलित आहार अपनाएं। मीठे और तले हुए फूट आइटम को हटा दें, उच्च कैलोरी और जंक फूड से दूर रहें व डेयरी उत्पाद का सेवन कम करें। फाइबर युक्त फूड पदार्थों का चयन करें और दिन भर में तीन बड़े भोजन के बजाय कई छोटे मील का विचार करें। 

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