दमा के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वायु प्रदूषण दमा के मुख्य कारणों में से एक है। दमा एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों में साँस की नलियों को प्रभावित करती है। साँस लेने में तकलीफ, खांसी, घरघराहट और सीने में दर्द दमा के सामान्य लक्षण हैं। दमा से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
पहला
एलर्जी की समस्या हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है। कुछ लोगों को धूल से एलर्जी हो सकती है, जबकि कुछ को ठंड और धुएँ से। यह जानना ज़रूरी है कि आपको किस चीज़ से एलर्जी है और उसका इलाज करवाना चाहिए।
दूसरा
धूल और धुएँ भरे माहौल में मास्क पहनने से फेफड़ों की सुरक्षा होती है। जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि मास्क पहनने से पराग, धूल और डीजल के धुएँ जैसे वायुजनित एलर्जी के संपर्क में आने की संभावना काफी कम हो जाती है। N95 जैसे अच्छे किस्म के मास्क सूक्ष्म कणों को रोक सकते हैं।
तीसरा
पालतू जानवरों, फफूंदी और धूल के कणों से दूर रहें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एलर्जी दमा के लक्षणों को बदतर बना सकती है। घर को साफ रखने और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने से एलर्जी के संपर्क में आने की संभावना कम हो जाती है, जिससे दमा के लक्षणों में काफी कमी आती है। नियमित रूप से घर की सफाई करें और हाइपोएलर्जेनिक बिस्तर का इस्तेमाल करें।
चौथा
अगर आपको दमा है, तो धूम्रपान न करें, क्योंकि इससे साँस की नली प्रभावित हो सकती है। द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि धूम्रपान से साँस की नली में सूजन और संकुचन हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने से दमा के लक्षणों और फेफड़ों के काम करने के तरीके में सुधार होता है।
पाँचवाँ
जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें अलग-अलग तरह के परफ्यूम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। परफ्यूम और एयर फ्रेशनर की खुशबू दमा के लक्षणों को बदतर बना सकती है। परफ्यूम में मौजूद रसायन खांसी, साँस लेने में तकलीफ और घरघराहट जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं।
छठा
ठंड का मौसम एलर्जी का कारण बनता है। इससे खांसी, साँस लेने में तकलीफ और घरघराहट जैसे लक्षण हो सकते हैं। अगर आपको ठंड के दिनों में बाहर जाना पड़े, तो अपने नाक और मुँह पर स्कार्फ या मास्क पहनें ताकि फेफड़ों में हवा जाने से पहले वह गर्म हो जाए।