कई बीमारियाँ गंभीर होने से पहले ही शरीर को कई तरह के संकेत देती हैं। लेकिन कई लोग उन्हें या तो पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर देते हैं या उन्हें गंभीरता से नहीं लेते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है गले का कैंसर, जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं। नाक के पीछे से शुरू होकर गर्दन तक जाने वाली मांसपेशियों की नली को गला कहते हैं। इसी गले में होने वाले कैंसर को ही गले का कैंसर कहते हैं। शराब, धूम्रपान और नशीले पदार्थों का सेवन अक्सर गले के कैंसर का कारण बनता है।
आवाज का भारी होना, आवाज में बदलाव, भोजन निगलने में कठिनाई, गर्दन के किनारे सूजन आदि शुरुआती लक्षण हैं। लगातार बना रहने वाला गले में दर्द भी कई बार कैंसर का संकेत हो सकता है। तेज खांसी, खांसते समय खून आना, सांस लेने में तकलीफ, गले में कुछ फंसा हुआ महसूस होना, गले में सूजन आदि भी इसके संकेत हो सकते हैं।
कुछ लोगों में कान में दर्द भी हो सकता है। गले का कैंसर कभी-कभी कान तक जाने वाली रक्त वाहिकाओं पर दबाव डाल सकता है। इसलिए चार-पांच दिन तक लगातार कान में दर्द होने पर भी लापरवाही न बरतें। अगर गले में कोई ऐसा घाव या गांठ है जो ठीक नहीं हो रही है तो भी सावधान हो जाएं। अगर मुंह के छाले 15-20 दिन बाद भी नहीं सूखते हैं तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
नाक से खून आना, लगातार नाक बंद रहना, बिना वजह वजन कम होना और लगातार साइनस का संक्रमण, बार-बार सिरदर्द आदि पर भी ध्यान न देना खतरनाक हो सकता है।
ध्यान दें: अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देते हैं तो खुद से इलाज करने की कोशिश न करें, बल्कि डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इसके बाद ही बीमारी की पुष्टि करें।