
Diabetes Patient Do and Don't: भारत में त्योहार और मिठाइयां एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। कोई भी उत्सव मिठाई के बिना अधूरा लगता है, खासकर दिवाली। लेकिन जहां मिठाई खुशी का प्रतीक है, वहीं डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए यह परेशानी का कारण भी बन जाती है।
भारत को डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। पिछले तीन दशकों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद, हमारी मिठाइयों के प्रति दीवानगी कम नहीं हुई। अक्सर जब कोई कहता है कि 'मैं डायबिटिक हूं,' तो लोग फिर भी कह देते हैं, ‘अरे, बस एक पीस खा लो!’
दिवाली डायबिटीज पेशेंट के लिए ऐसा वक्त होता है, जहां सबसे ज्यादा संयम दिखाने की जरूरत होती है। ग्रेटर नोएडा के रहने वाले राहुल कहते हैं कि ‘दिवाली में जब किसी के घर जाता हूं, तो वो फोर्स करते हैं मिठाई खाने के लिए और ये सबसे मुश्किल भरा होता है, उन्हें समझाना का वाकई मैं मिठाई नहीं खा सकता हूं। हर कोई बस एक पीस के लिए मनाने लगता है। अब तो मैं इस समय सोशल गैदरिंग्स से दूर ही रहता हूं।’
इंडिया टू डेसे बातचीत में Arete Hospitals के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. प्रद्वीराज सनमंद्रा बताते हैं कि दिवाली खुशी लाती है, लेकिन डायबिटिक लोगों के लिए एक छोटा सा लड्डू भी ब्लड शुगर लेवल को बहुत तेजी से बढ़ा सकता है। पारंपरिक मिठाइयों में चीनी, घी और दूध की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे शरीर तुरंत थकान, प्यास या चक्कर जैसा महसूस करता है।
ग्लेनईगल्स बीजीएस हॉस्पिटल, बेंगलुरु की डॉ. सिरी एम कामथ कहती हैं ,'ब्लड शुगर के ऐसे उतार-चढ़ाव हानिकारक होते हैं। ये किडनी, आंखों और नसों पर दबाव डालते हैं। जो लोग पहले से इंसुलिन या दवा पर हैं, उनके लिए एक दिन की मिठाई भी कई दिनों तक शुगर लेवल बिगाड़ सकती है।'
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