एंजियोप्लास्टी से बचाई गई सुष्मिता सेन की जान, जानें इस सर्जरी के बारे में सबकुछ

हेल्थ डेस्क. 47 साल की उम्र में भी खुद को काफी फिट रखने वाली अदाकारा सुष्मिता सेन के हार्ट अटैक की खबर सुनकर हर कोई दंग रह गया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें बचाने के लिए नसो में स्टेंट डाला है। आइए जानते हैं एंजियोप्लास्टी सर्जरी के बारे में। 

Nitu Kumari | Published : Mar 3, 2023 2:03 AM IST
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हार्ट का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अगर ये काम करना बंद कर दे तो इंसान मौत के दरवाजे तक पहुंच सकता है। बॉलीवुड अदाकारा सुष्मिता सेन अपने पोस्ट के जरिए इसके बारे में बताया। उन्होंने लिखा,'मेरे पिता कहते हैं अपने दिल को हमेशा खुश और साहसी रखें और जब आपको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी, तो यह आपका साथ देगा। कुछ दिनों पहले मुझे हार्ट अटैक आया था। एंजियोप्लास्टी हुई, स्टेंट लगा और सबसे महत्वपूर्ण बात कि मेरे कार्डियोलॉजिस्ट ने मुझे बताया कि मेरा दिल बहुत बड़ा है।'

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क्या है एंजियोप्लास्टी
जी हां, अदाकारा की जान एंजियोप्लास्टी करके बचाई गई। ये एक ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया है। जिसमें हार्ट की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं यानी कोरोनरी आर्टरीज़ को खोला जाता है। हार्ट अटैक या स्ट्रोक आने पर डॉक्टर एजियोप्लास्टी मरीज का करते हैं।

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तीन धमनियां यानी आर्टरी दिल के ऊपरी सतह पर होती है, जो मांसपेशियों को खून देती हैं
1.LAD यानी लार्जेस्ट कोरोनरी आर्टरी, ये मेन धमनी है। ये दिल की 70 प्रतिशत मांसपेशियों को खून देती हैं।
2. राइट कोरोनरी आर्टरी जो 20-25 प्रतिशत मांसपेशियों को ब्लड की सप्लाई करती है।
3. सेराफ्लेक्स आर्टरी जो दिल के पीछे होती है। यह 10 प्रतिशत तक खून देती है।

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क्या होता है जब ये ब्लॉक हो जाए
अगर ये धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं तो मरीज को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। जैसे चलने फिरने में दिक्कत होना, सांस फूलना। ये दिल को कमजोर कर सकती हैं। जिससे दिल धीरे-धीरे खून को पंप करता है। जिससे अचनाक हार्ट अटैक आ सकते हैं।
 

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एंजियोप्लास्टी कैसे की जाती है?
एंजियोप्लास्टी में एक छोटा सा प्लास्टिक का कैथिटर (पतला सा ट्यूब) हाथ से या जांघ से शरीर के अंदर डाला जाता है। उसे धमनियों तक वायर या पाइप के सहारे ले जाते हैं। एंजियोग्राफी से पहले चेक किया जाता है कि ब्लॉकेज कहा है। फिर कैथिटर से जुड़े वायर को ब्लॉकेज के आरपार ले जाया जाता है। वहां पर फिर बलून को फुला देते हैं। इसके फूलने से धमनी यानी आर्टरी के अंदर मौजूद रुकावट खुल जाती है। फिर 
उस बलून को बाहर निकाला जाता है। फिर खुली हुई धमनी में स्टेंट से लिपटा बलून फिर से घुसाया जाता है। स्टेंट एक मेटल का स्प्रिंग टाइप ट्यूब होता है जो दवाइयों से लिपटी होती है। जिसेस धमनियां दोबारा बंद नहीं होती है। बलून के सहारे स्टेंट को वहां पर प्लेस कर दिया जाता है, ताकि धमनी दोबारा बंद ना हो।इस पूरी प्रक्रिया को एंजियोप्लास्टी कहते हैं।

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एंजियोप्लास्टी का खर्चा
यह सर्जरी काफी सेफ होता है। डॉक्टर की मानें को 1 प्रतिशत से भी कम खतरा इस सर्जरी में होता है। डेढ़ से ढाई लाख के बीच एंजियोप्लास्टी सर्जरी हो जाती है। मरीज के जरूरत के हिसाब से स्टेंट डाला जाता है। किसी को एक स्टेंट की जरूरत पड़ती है तो किसी को दो से तीन भी।

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एंजियोप्लास्टी की जरूरत किसे
अचानक जिसे हार्ट अटैक आता है उसे एंजियोप्लास्टी की जाती है।
जिसे दिल की बीमारी है उसकी भी एंजियोप्लास्टी कराई जाती है।
जिन पेशेंट की बाईपास सर्जरी हो चुकी है और कुछ वक्त बाद समस्या आ जाती है तो फिर एंजियोप्लास्टी की जाती है।
ऐसे मरीज जिनमें बाईपास नहीं हो सकता, उनमें भी एंजियोप्लास्टी की जाती है।
 

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एंजियोप्लास्टी के बाद क्या करें
एंजियोप्लास्टी के कुछ घंटों बाद ही मरीज चलने फिरने लगता है। एक से दो दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। हालांकि मरीज को कुछ सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
दवाइयां टाइम पर लेने को कहा जाता है।
रोज वक्त पर ब्लड थिनर लेने को कहा जाता है।
सर्जरी के दो से तीन दिन बाद वॉक करने को कहा जाता है।
घी तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
फल और सब्जियां ज्यादा खाना चाहिए।
शुगर और कार्बोहाइड्रेट से खुद को रखें दूर।

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