एवियन इन्फ्लूएंजा क्या है और क्या यह कोविड-19 जैसी महामारी का कारण बन सकता है?

एवियन इन्फ्लूएंजा जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है। यह एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है। इसके कई प्रकार है जिनमें से कुछ मनुष्यों और अन्य जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं।

Nitu Kumari | Published : Apr 7, 2024 3:24 AM IST

हेल्थ डेस्क.एवियन इन्फ्लूएंजा (avian influenza) जिसे बर्ड फ्लू भी कहते हैं इसे लेकर दुनिया भर में चिंता का माहौल फैला है। ये वायरस दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों में फैलते हैं और घरेलू पोल्ट्री और अन्य पक्षी और जानवर को संक्रमित कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसके की ऐसे प्रकार है जो इंसानों को भी बीमार कर कर सकते हैं।

मनुष्यों को संक्रमित करने वाले सबसे आम प्रकार H5N1 और H7N9 हैं।ये वायरस आमतौर पर संक्रमित पक्षियों के श्वसन और पाचन तंत्र में रहते हैं। टेक्सास में बर्ड फ्लू का एक दुर्लभ मानव मामला पाए जाने के बाद, अमेरिका के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बर्ड फ्लू महामारी कोविड से 100 गुना बदतर होने की आशंका हो सकती है। लेकिन खतरा कितना वास्तविक है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है।

बर्ड फ्लू कैसे फैलता है

एवियन इन्फ्लूएंजा विभिन्न माध्यमों से फैलता है। सबसे पहले, संक्रमित पक्षियों, उनकी लार, नाक के स्राव और मल के साथ सीधा संपर्क वायरस के संचरण को सुविधाजनक बना सकता है। इसके अलावा अप्रत्यक्ष संपर्क जोखिम पैदा करता है। व्यक्ति अगर दूषित सतहों जैसे पिंजरे को छूने या फिर कपड़े या किसी अन्य चीज को छूने से भी इस वायरस के चपेट में आ सकता है। डॉक्टर की मानें तो एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमित पक्षियों के श्वसन बूंदों के जरिए भी प्रसारित हो सकता है, जो हवा से फैलने की तरफ इशारा करता है।

बर्ड फ्लू के लक्षण

मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और इनमें शामिल हो सकते हैं-

- बुखार

- खांसी

- गला खराब होना

- मांसपेशियों में दर्द

- सांस लेने में दिक्क्त

- न्यूमोनिया

- नेत्रश्लेष्मलाशोथ (गुलाबी आंख)

- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण (जैसे दस्त)

डॉक्टर की मानें तो एवियन इन्फ्लूएंजा के गंभीर मामलों में श्वसन विफलता और यहां तक कि मृत्यु जैसी जोखिम हो सकती है।

बर्ड फ्लू से कैसे बचें

एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रसार को रोकने के लिए कई प्रमुख उपाय करने चाहिए। सबसे पहले जीवित मुर्गियों और पक्षियों के साथ संपर्क कम करना। खास तौर पर वहां जहां यह संक्रमण फैला है। इसके अलावा हाथों को बार-बार साबुन से धोना चाहिए। इसके अलावा यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि पोल्ट्री और अंडे खाने से पहले अच्छी तरह से पकाए जाएं, क्योंकि पकाने से वायरस प्रभावी रूप से मर जाता है। इसके साथ डॉक्टर का कहना है कि ऐसी सतहों को छूने से बचने की भी सलाह दी जाती है जो पक्षियों की बीट या स्राव से दूषित हो सकती हैं।

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