
ब्रेस्ट कैंसर, आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बीमारियों में से एक बन चुका है और खासतौर पर महिलाओं में। WHO के अनुसार, हर साल लगभग 2.3 मिलियन महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित होती हैं। भारत में भी यह महिलाओं में सबसे आम कैंसर है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असली कारण क्या है? क्यों कुछ महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है? क्या यह केवल जेनेटिक्स से होता है या हमारी लाइफस्टाइल भी इसमें भूमिका निभाती है? आज हम ब्रेस्ट कैंसर के साइंटिफिक कारण, हार्मोनल असंतुलन, लाइफस्टाइल से जुड़े कारक और बचाव के उपाय पर डिटेल से बात करेंगे।
ब्रेस्ट कैंसर का गहरा संबंध महिलाओं के हार्मोन विशेषकर एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) से है। जब ये हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो ब्रेस्ट टिश्यू में अनियंत्रित ग्रोथ शुरू हो सकती है, जो धीरे-धीरे कैंसरस ट्यूमर का रूप ले लेती है। इसमें हाई रिस्क फैक्टर जल्दी पीरियड शुरू होना (12 साल से पहले), लेट मेनोपॉज (55 साल के बाद), पहली प्रेग्नेंसी 30 की उम्र के बाद होना और ब्रेस्टफीडिंग ना कराना।
कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर विरासत में मिलता है। BRCA1 और BRCA2 नामक जीन में म्यूटेशन होने पर ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम 60–80% तक बढ़ सकता है। यह रिस्क Angelina Jolie जैसी हॉलीवुड स्टार्स में भी देखा गया, जिन्होंने इसे देखते हुए प्रोएक्टिव मेडिकल स्टेप्स लिए।
अनहेल्दी खानपान: जैसे जंक फूड, प्रोसेस्ड मीट, हाई फैट डाइट, कम फाइबर लेना है। अधिक शराब का सेवन करना और चीनी की अधिकता इंसुलिन और एस्ट्रोजन बढ़ाते हैं।
फिजिकल इनऐक्टिविटी: हर दिन केवल 30 मिनट की वॉक ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को 25-30% तक कम कर सकती है।
तनाव और नींद की कमी: क्रॉनिक स्ट्रेस से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो हार्मोनल बैलेंस बिगाड़ सकता है। नींद कम होने पर मेलाटोनिन कम बनता है, जिससे शरीर का सेल डैमेज ठीक नहीं हो पाता।
प्लास्टिक में रखे खाने से BPA निकलता है जो एक xenoestrogen है और ब्रेस्ट टिश्यू पर नकारात्मक असर डालता है। डिओड्रेंट्स और केमिकल कॉस्मेटिक्स में मौजूद parabens और phthalates शरीर के हार्मोन में हस्तक्षेप करते हैं।
जिन महिलाओं को पहले ओवरी या यूट्रस से जुड़ी कोई बीमारी रही हो या जो लंबे समय तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) लेती हैं, उनमें रिस्क ज्यादा देखा गया है। साथ ही रिसर्च से पता चला है कि लंबे समय तक अवसाद (depression), भावनात्मक आघात और अकेलापन भी ब्रेस्ट कैंसर को ट्रिगर कर सकते हैं। योग, ध्यान (meditation) और प्राणायाम से मानसिक संतुलन बना रहता है।