
AI Diagnostics Pros and Cons: आजकल AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) ने हेल्थकेयर की दुनिया में तहलका मचा रखा है। बीमारियों की पहचान से लेकर ट्रीटमेंट प्लान तक, हर जगह इसका असर दिख रहा है। लेकिन जब बात महिलाओं की सेहत की आती है, तो इसके फायदे भी हैं और कुछ बड़े खतरे भी। अक्सर महिलाओं की बीमारियों का या तो गलत इलाज होता है या जरूरत से ज्यादा जांच और इलाज किया जाता है। AI तकनीक इन गलतियों को ठीक कर सकती है, लेकिन अगर इसे बिना सोच-समझ के इस्तेमाल किया जाए तो यह वही भेदभाव और गड़बड़ियां और बढ़ा भी सकती है।आइए समझते हैं आम भाषा में AI के 7 बड़े फायदे और संभावित नुकसान।
1. बेहतर, तेज पहचान
AI तकनीक मेडिकल डेटा मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड और टेस्ट को मानव सिस्टम से तेजी से प्रोसेस कर सकती है। ब्रेस्ट कैंसर या सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों में, शुरुआती पहचान जीवन-मरण का सवाल होती है।
फायदा: बेहतर निदान और जीवित रहने की दर में सुधार।
2. पर्सनल हेल्थ प्लान
AI हर महिला की उम्र, लाइफस्टाइल और हार्मोन के हिसाब से अलग सलाह दे सकता है खासकर पीरियड्स, फर्टिलिटी और मेनोपॉज जैसी स्थितियों में।
फायदा: रोगी-विशिष्ट, अधिक सटीक स्वास्थ्य योजनाएँ।
3. दूरस्थ और सुलभ स्वास्थ्य सेवा
दूरस्थ या कम सेवा वाले क्षेत्रों में, AI-संचालित चैटबॉट और मोबाइल स्वास्थ्य ऐप्लिकेशन प्राथमिक निदान, लक्षण निगरानी और स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान कर सकते हैं—पहुँच की बाधा को दूर करते हुए।
4.गांव-देहात में भी इलाज
जहां डॉक्टर नहीं पहुंचते, वहां AI वाले हेल्थ ऐप और चैटबॉट्स शुरुआती सलाह, लक्षणों की निगरानी और बेसिक जानकारी दे सकते हैं।
कम गड़बड़ी:
AI कई बार ऐसे लक्षण पकड़ लेता है जो डॉक्टरों से छूट जाते हैं जैसे PCOS या एंडोमेट्रियोसिस।
1.डेटा में पक्षपात
AI को ज़्यादातर मर्दों के डेटा से सिखाया जाता है। नतीजा महिलाओं के लक्षण कई बार पहचाने ही नहीं जाते।
2.इमोशनल समझ की कमी
AI मशीन है, दिल नहीं। प्रेग्नेंसी या मानसिक तनाव जैसी स्थितियों में जहां भावनात्मक सहारा जरूरी होता है, वहां AI मदद नहीं कर पाता।
3. डेटा का खतरा
AI हमारे हेल्थ डेटा पर काम करता है। अगर यह सही से सुरक्षित न हो तो प्राइवेसी का बड़ा खतरा है, खासकर प्रजनन या यौन स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी का।