
Womens Health Guide: मासिक धर्म सिर्फ़ एक मासिक चक्र नहीं है, यह महिलाओं की पूरी सेहत का एक अहम हिस्सा है। शारीरिक सेहत से लेकर मानसिक स्थिरता तक, मासिक धर्म का असर सिर्फ़ पीरियड्स तक सीमित नहीं है। ये सात तरीके हैं जिनसे मासिक धर्म आपकी सेहत पर असर डालता है।
मासिक धर्म का चक्र एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन से नियंत्रित होता है, जो सीधे आपके मूड और भावनाओं पर असर डालते हैं। इन हार्मोन में बदलाव से मूड स्विंग्स, चिंता और चिड़चिड़ापन हो सकता है। पीरियड्स के दौरान बहुत ज़्यादा भावनात्मक परेशानी प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) जैसी समस्या का संकेत हो सकती है, जिसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
हार्मोनल बदलाव और खून की कमी के कारण कई महिलाओं को अपने मासिक धर्म के दौरान कमज़ोरी और थकान महसूस होती है। आयरन का स्तर कम हो सकता है, जिससे एनीमिया हो सकता है और बहुत ज़्यादा थकान हो सकती है। आयरन से भरपूर खाना और खूब पानी पीने से इस समस्या से निपटा जा सकता है।
मासिक धर्म का चक्र पेट की सेहत पर असर डाल सकता है, जिससे पेट फूलना, कब्ज़ या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसा हार्मोनल बदलाव के कारण होता है जो पाचन को प्रभावित करते हैं। फाइबर से भरपूर संतुलित आहार लेने से पाचन संबंधी परेशानी कम हो सकती है।
मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल बदलाव से मुंहासे, तैलीय त्वचा और बालों का पतला होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन के कारण रूखी त्वचा या बहुत ज़्यादा बाल झड़ने की समस्या होती है। सौम्य स्किनकेयर उत्पादों का इस्तेमाल और स्वस्थ आहार लेने से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है।
कई महिलाओं को अपने मासिक धर्म के दौरान नींद न आने की समस्या होती है। हार्मोनल बदलाव से अनिद्रा, बेचैनी भरी नींद या बहुत ज़्यादा नींद आने की समस्या हो सकती है। सोने से पहले आरामदायक रूटीन बनाने और कैफीन से बचने से नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
नियमित मासिक धर्म अच्छे प्रजनन स्वास्थ्य का संकेत है, जबकि अनियमित पीरियड्स पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या थायरॉइड जैसी समस्याओं का संकेत हो सकते हैं। मासिक धर्म के चक्र पर नज़र रखने से प्रजनन संबंधी संभावित समस्याओं का जल्दी पता लगाया जा सकता है।
मासिक धर्म का स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है। पीरियड्स से जुड़ा लगातार तनाव अवसाद, चिंता और भावनात्मक थकावट का कारण बन सकता है। अपना ख्याल रखना, हल्का व्यायाम करना और ज़रूरत पड़ने पर किसी विशेषज्ञ की मदद लेना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।