आजकल युवाओं में भी हृदय रोग बढ़ रहे हैं। अस्वास्थ्यकर जीवनशैली ही इसका मुख्य कारण है। मोबाइल और लैपटॉप में डूबे रहना और शारीरिक गतिविधि न करना हृदय रोग के खतरे को बढ़ाता है, डॉ. सुल्फी नूहू ने चेतावनी दी है।
डॉक्टर के फेसबुक पोस्ट को पढ़ें:
कम उम्र में हृदय रोग बढ़ रहे हैं यह सच है। उस मोबाइल और लैपटॉप को नीचे रखकर बाहर दौड़ना ही बेहतर है। नहीं तो हृदय रोग होगा, पक्का है। सब मिलकर उस कोविड वैक्सीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अफ़सोस की बात है!! लाखों लोगों की जान बचाने वाली वैक्सीन है। वही हृदय रोग जैसी बीमारियों का कारण बन रही है, कुछ लोगों का मानना है। इसके लिए वैक्सीन नहीं बल्कि
लैपटॉप और मोबाइल से नज़रें हटाए बिना, शरीर को बिना हिले बस यूँ बैठे रहना ही एक वजह है। शरीर बिल्कुल भी नहीं हिलता, हरकत नहीं करता! लगभग प्री-स्कूल से ही ऐसा ही चलता है और टीनएज में पहुँचते-पहुँचते तो कहना ही क्या। खाना? जंक फ़ूड और क्या-क्या नहीं खाते! सब कुछ खाते हैं! वज़न बढ़ गया तो पापा को भी तो मोटापा है, दादा जी का वज़न भी ज़्यादा था, मुझे थायराइड है, ऐसे 100 बहाने बनाकर, छिपाकर रखे चिप्स में से एक मुट्ठी अंदर डाल ही लेते हैं। मोटापा बढ़ाने वाली हर चीज़ स्टॉक में रहती है। पढ़ाई या नौकरी के लिए जाएँ तो दुनिया भर का तनाव सिर पर!
पैसा कमाने की भागदौड़ में सब लगे हैं! कहावत है कि पैसे पर तो गिद्ध भी नहीं मंडराता। लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो आसपास गिद्ध ही नहीं, काल भी मंडराएगा। आठ घंटे सोने, आठ गिलास पानी पीने, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी व्यायाम करने का तो समय ही नहीं है। वीकेंड पर पब या बार में जाकर दो पेग लगा लो। बस यही रिलैक्सेशन है! धूम्रपान तो है ही, बाकी जो भी मिल जाए, अगर हो सके तो उसका भी सेवन करेंगे। पारिवारिक इतिहास में बीमारी न हो, डायबिटीज या हाइपरटेंशन न हो, तो भी ये सब हृदय रोग के लिए काफ़ी हैं। बाहर निकलकर दौड़ना ही सबसे अच्छा है, अगर हर दिन न दौड़ सकें तो कम से कम हर दिन 30 मिनट टहलें। यह न भूलें कि 'आहार ही शत्रु है'।
- डॉ. सुल्फी नूहू