महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस (Zika Virus) का प्रकोप बढ़ गया है। तीन नए संक्रमित मिले हैं। इस वायरस के संक्रमण से गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा रहता है। यह मुख्य रूप से मच्छर के काटने से फैलता है।
पुणे। जीका वायरस (Zika Virus) का प्रकोप महाराष्ट्र के पुणे में बढ़ गया है। यहां इसके संक्रमण के तीन नए मामले सामने आए हैं। 14 साल की लड़की, 27 साल की महिला और 49 साल के पुरुष को संक्रमण लगा है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में जीका वायरस के कुल संक्रमितों की संख्या 28 हो गई है। इनमें से बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं शामिल हैं।
जीका वायरस के संक्रमण को लेकर गर्भवती महिलाओं को अधिक सावधान रहना चाहिए। उन्हें इससे अधिक खतरा है। यह गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित करता है। इससे गर्भपात होने का खतरा रहता है। प्रशासन ने वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की है और कार्रवाई तेज कर दी है।
कैसे फैलता है जीका वायरस?
मुख्य रूप से जीका वायरस इंसानों में मच्छर के काटने से फैलता है। जब कोई मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वायरस उसके शरीर में चला जाता है। आगे चलकर जब मच्छर किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर में जीका वायरस पहुंच जाता है और उसे संक्रमित कर देता है। इसके साथ ही यह यौन संबंध बनाने और खून के सीधे संपर्क में आने से भी फैलता है, लेकिन ऐसे मामले कम देखे जाते हैं।
जीका वायरस के संक्रमण के लक्षण
जीका वायरस का संक्रमण लगने पर अधिकांश रोगियों में लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं। ये 5-7 दिनों तक रहते हैं। इसके लक्षण डेंगू जैसी बीमारी जैसे हैं। इसमें बुखार लगना, त्वचा पर दाने आना, आंख आना, मायलाइटिस, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और उल्टी हो सकती है।
वायरस से निपटने के लिए प्रशासन क्या कर रहा है?
जीका वायरस के संक्रमण के 28 मामले अहमदनगर और कोल्हापुर समेत पूरे महाराष्ट्र में सामने आए हैं। पुणे में सबसे ज्यादा 20 मामले सामने आए हैं। संक्रमितों में 10 गर्भवती महिलाएं हैं। अधिकारियों ने 45,000 घरों का निरीक्षण किया है। 400 पुरुषों और 350 गर्भवती महिलाओं के खून के सैंपल लिए गए हैं। इन्हें जांच के लिए भेजा गया है।
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गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस बच्चे को कैसे प्रभावित कर सकता है?
गर्भावस्था के दौरान जीका संक्रमण से माइक्रोसेफली और अन्य गंभीर मस्तिष्क संबंधी समस्याएं होती हैं। माइक्रोसेफली तब होती है जब बच्चे का सिर समान लिंग और उम्र के बच्चों की तुलना में अपेक्षा से छोटा होता है। माइक्रोसेफली वाले बच्चों का मस्तिष्क अक्सर छोटा होता है और ठीक से विकसित नहीं होता। हर बच्चा जिसकी मां को जीका है, वह माइक्रोसेफली के साथ पैदा नहीं होता।
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