सार

चांदीपुरा वायरस (CHPV) रैबडोविरिडे परिवार से है। यह सैंडफ्लाई के काटने से फैलता है। इसका संक्रमण बच्चों के लिए ज्यादा घातक होता है। इलाज लक्षणों के आधार पर होता है। इसका कोई खास एंटीवायरल इलाज अभी नहीं है।

नई दिल्ली। गुजरात में चांदीपुरा वायरस (CHPV) के संक्रमण के चलते छह बच्चों की मौत हुई है। यह वायरस नया नहीं है। इसके संक्रमण के मामले पहले भी सामने आए हैं। इसका संक्रमण बच्चों के लिए अधिक घातक होता है। चिंता की बात यह है कि इसका कोई सटीक इलाज नहीं है।

गुजरात का चांदीपुरा वायरस क्या है?

चांदीपुरा वायरस (CHPV) रैबडोविरिडे परिवार का सदस्य है। यह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में फैलता है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा जैसे होते हैं। इससे पीड़ित का तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है, जिससे मौत तक हो जाती है।

चांदीपुरा वायरस के लक्षण क्या हैं?

  • तेज बुखार: चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के शुरुआती और सबसे आम लक्षणों में से एक अचानक तेज बुखार है।
  • त्वचा पर दाने आना: त्वचा पर दाने आ सकते हैं। ये हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
  • उल्टी: कई बार रोगी को उल्टी होती है। यह लगातार हो सकती है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और रोगी की स्थिति गंभीर हो जाती है।
  • सिरदर्द: चांदीपुरा वायरस का संक्रमण होने पर सिरदर्द होता है। यह अक्सर गंभीर हो जाता है।
  • न्यूरोलॉजिकल लक्षण: संक्रमण गंभीर हो तो भ्रम हो सकता। रोगी को दौरे पड़ सकते हैं। रोगी कोमा में भी जा सकता है।
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द होता है।

कैसे फैलता है चांदीपुरा वायरस?

चांदीपुरा वायरस मुख्य रूप से संक्रमित सैंडफ्लाई के काटने से मनुष्यों में फैलता है। सैंडफ्लाई इसका मुख्य वाहक हैं। जब कोई सैंडफ्लाई चांदीपुरा वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटती है तो वायरस उसके शरीर में चला जाता है। यह सैंडफ्लाई को संक्रमित नहीं करता, बल्कि उसके शरीर में पड़ा रहता है। जब सैंडफ्लाई किसी दूसरे इंसान को काटती तब वायरस उसके शरीर से निकलकर इंसान के शरीर में पहुंच जाता है। यह वायरस मच्छर और टिक भी फैल सकता है, लेकिन ऐसा कम होता है।

क्या एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है चांदीपुरा वायरस?

चांदीपुरा वायरस एक इंसान से सीधे दूसरे इंसान में नहीं फैलता। यह छूने, चुंबन लेने, यौन संपर्क, या शरीर के घावों के साथ संपर्क से नहीं फैलता। यह कोरोना वायरस की तरह संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से भी नहीं फैलता।

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चांदीपुरा वायरस का इलाज

चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के लिए अभी तक खास इलाज नहीं है। रोगी को मौत से बचाने के लिए समय रहते इसकी पहचान करना और देखभाल जरूरी है। रोगी को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। उसका इलाज लक्षण के आधार पर होता है।

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