ऐसे हुई थी ब्रा पहनने की शुरुआत, पहले हुआ जमकर विरोध फिर दुनिया ने माना महिलाओं के लिए है जरूरी

महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण गारमेंट में से एक ब्रा है। इसे पहना महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते है इसे पहनने की शुरुआत कब हुई थी।

लाइफस्टाइल डेस्क :  मानव की शुरुआत आदिमानव काल से हुई थी। जहां स्त्री और पुरुष दोनों ही अंग वस्त्र नहीं पहनते थे। लेकिन जैसे-जैसे दुनिया का समाजीकरण हुआ पहले महिलाओं ने और फिर पुरुषों ने अंग वस्त्र पहनना शुरू किया। महिलाओं के सबसे जरूरी अंग वस्त्र की बात करें तो यह अंडर गारमेंट यानी की अंडरवियर और ब्रा है, जिससे उनके प्राइवेट पार्ट्स कवर होते है। लेकिन लोग आज भी इसके बारे में बात करने से कतराते हैं। अगर किसी के ब्रा की स्ट्रेप दिख जाए तो लोग और असहज महसूस करने लगते हैं। इसे टावेल या अन्य कपड़ों के अंदर रखकर सुखाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह अंग वस्त्र इतना जरूरी क्यों है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं ब्रा की हिस्ट्री...

ब्रा पहनना क्यों जरूरी 
सबसे पहले यह ख्याल मन में आता है कि ब्रा पहनना सही है या गलत। इसे लेकर सालों से कई बातें कहीं जा रही हैय़ लेकिन आपको बता दें कि इसका कोई सटीक जवाब तो नहीं है। लेकिन ब्रा पहनने से महिलाओं के स्तन सुडौल दिखते हैं। उन्हें सपोर्ट मिलता है। इसके अलावा कहा जाता है कि ब्रा रीड की हड्डी संबंधी समस्याओं को रोकने में भी मदद करती है, इसलिए महिलाओं को दिन के समय तो ब्रा जरूर पहननी चाहिए। हां, रात में सोते समय रिलैक्स होने के लिए ब्रा को उतार देना चाहिए।

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ऐसा है ब्रा का इतिहास 
क्या आपके मन में भी यह सवाल आया है कि सबसे पहले ब्रा किसने पहनी होगी और कब से इसकी शुरुआत हुई होगी ? तो आपको बता दें कि ब्रा का इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है। इस दौरान इसके नाम और बनावट में भी कई बदलाव आए। आज भले ही महिलाएं पैडेड, कफ्स या वायर वाली ब्रा पहनती हैं, लेकिन प्राचीन काल में मिस्र की महिलाएं चमड़े की ब्रा पहनती थी। वहीं, ग्रीक और यूनानी महिलाएं साधारण ब्रा बैंड के रूप में इसे पहना करती थी। भारत देश का इतिहास इतना पुराना नहीं है क्योंकि यहां ब्रा की जगह महिलाएं ब्लाउज पहनती थी। यह एक तरीके से स्तनों को ढकने के लिए ही पहना जाता था। इसकी शुरुआत 6 वीं शताब्दी के दौरान हर्षवर्धन काल में चोली के रूप में हुई थी।

कॉर्सेट का बढ़ा चलन
इसके बाद यूरोप में 12 वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी तक धातु के बने कॉर्सेट का इस्तेमाल किया जाने लगा। इसे कमर से लेकर स्तन तक को सही साइज और शेप में रखने के लिए पहना जाता था धातु से बनी यह ब्रा काफी असहज होती थी, इसलिए 1890 के दौरान कई देशों ने महिलाओं के लिए कपड़े की कॉर्सेट ब्रा बनाना शुरू किया। यह एक जैकेट की तरह होती है। हालांकि, कॉर्सेट ज्यादा कामयाब नहीं हो पाया, क्योंकि इससे महिलाओं को जी घबराना, पेट दर्द और सांस फूलने जैसी तकलीफ होने लगती थी, इसलिए 1900 दर्शक से इसका इस्तेमाल बंद हो गया।

ऐसी हुई मॉडर्न ब्रा की शुरुआत 
रिपोर्ट के अनुसार पहली मॉडर्न ब्रा फ्रांस में बनाई गई थी। जिस brassiere कहा जाता था। इसका मतलब फ्रेंच भाषा के अनुसार शरीर का ऊपरी हिस्सा होता है। इसे 30 मई 1869 को फ्रांस की हर्मिनी कैडोल ने कॉर्सेट को दो टुकड़ों में काटकर अंडरगारमेंट बनाया। इसे कॉर्सेट जॉर्ज नाम दिया गया। बाद में इसका ऊपरी हिस्सा ब्रा की तरह पहना और बेचा जाता था।

बॉलीवुड-हॉलीवुड एक्ट्रेस ने पहनी ब्रा
इसके बाद 1915 से 20 के बीच में सेमी कप और कप ब्रा बाजार में मिलने लगी, जो न केवल स्तनों को सपोर्ट करती बल्कि इन्हें सुडौल और आकर्षित भी दिखाती। 1940 के दौरान बाजार में कई तरह की ब्रा भारत में भी आई। बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने इसका इस्तेमाल किया इसे बुलेट ब्रा का नाम दिया गया। यह ब्रा दोनों स्तनों को एक दूसरे से दूर रखती थी। इसके बाद 1975 से स्पोर्ट्स ब्रा की शुरुआत हुई, जो खेल के दौरान लोग पहना करते थे।

विरोध भी झेला
महिलाओं का अंडर गारमेंट ब्रा इतनी आसानी से उनके लिए उपलब्ध नहीं हुआ। इसे कई विरोध का सामना भी करना पड़ा 1960 के दौरान वोग मैगजीन ने Brassiere को सपोर्ट किया। लेकिन इसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। कई महिलावादी संगठनों ने इसके नुकसान बताना शुरू किया। 1960 में भी कई महिलावादी संगठनों ने ब्रा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। उनका कहना था कि इसे पहनने से महिलाएं सिर्फ सेक्स ऑब्जेक्ट बन जाती हैं। इसके साथ यह भी कहा गया था कि इसे पहनने से ब्रेस्ट कैंसर होता है।

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