
भारत में गोल्ड जूलरी सदियों से पसंद की जाती है। लेकिन जब बात डायमंड जूलरी की आती है, तो अक्सर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि यह हमेशा 18KT गोल्ड में ही क्यों बनाई जाती है। कई लोग सोचते हैं कि अगर डायमंड जूलरी को 20KT या 22KT गोल्ड में बनवाया जाए तो ज्यादा वैल्यू मिलेगी। लेकिन असलियत इसके बिल्कुल उलट है। आइए समझते हैं कि डायमंड जूलरी हमेशा 18KT में ही क्यों सही रहती है और क्यों आपको कभी भी 20–22KT गोल्ड में डायमंड जूलरी नहीं बनवानी चाहिए।
22KT गोल्ड में लगभग 91.6% प्योर गोल्ड होता है, जिसकी वजह से यह बहुत ज्यादा सॉफ्ट हो जाता है। 18KT गोल्ड में करीब 75% प्योर गोल्ड और बाकी धातुएं (जैसे कॉपर, सिल्वर, पैलेडियम) मिलाई जाती हैं। यह मिक्सिंग 18KT गोल्ड को ज्यादा स्ट्रॉन्ग और ड्यूरेबल बनाती है। डायमंड जूलरी को मजबूत पकड़ (secure setting) चाहिए, जो सिर्फ 18KT गोल्ड दे सकता है।
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डायमंड को जूलरी में लगाने के लिए प्रॉन्ग, क्लॉ या पावे सेटिंग की जाती है। अगर गोल्ड बहुत सॉफ्ट हो (जैसा 22KT में होता है), तो डायमंड लूज़ होकर गिर सकता है। 18KT गोल्ड सॉफ्टनेस और हार्डनेस का बैलेंस रखता है, जिससे डायमंड लंबे समय तक सुरक्षित रहता है।
डायमंड जूलरी का असली चार्म उसकी फिनिशिंग और ब्राइट शाइन में होता है। 18KT गोल्ड की कलर टोन (येलो, रोज, वाइट) डायमंड के साथ ज्यादा खूबसूरत लगती है। 22KT में कलर थोड़ा ज्यादा पीला होता है, जिससे डायमंड का ब्रिलियंस (sparkle) कम हो जाता है।
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दुनिया की ज्यादातर लग्जरी ब्रांड्स (Cartier, Tiffany, Bvlgari) 18KT गोल्ड का ही इस्तेमाल करती हैं। इंटरनेशनल सर्टिफाइड डायमंड जूलरी भी हमेशा 18KT में मिलती है। यह ग्लोबल क्वालिटी स्टैंडर्ड है, जो वैल्यू और ड्यूरेबिलिटी दोनों को मेंटेन करता है।
22KT गोल्ड बहुत ज्यादा मुलायम होता है, जिससे डायमंड सेटिंग सेफ नहीं रहती है। प्रैक्टिकल लाइफ में पहनने पर डायमंड डगमगा सकता है या निकल सकता है। ज्यादा प्योरिटी के कारण 22KT गोल्ड का स्क्रैच और बेंड होना आसान है। डायमंड जूलरी लंबे समय तक टिकनी चाहिए, इसलिए 20-22KT ऑप्शन बिल्कुल सही नहीं है।