
धार्मिक मान्यताओं और वास्तु शास्त्र में स्फटिक (Quartz Crystal) जूलरी को बेहद शुभ और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है। इसे पहनने के बहुत से लाभ हैं, और हिंदू धर्म में इसे पहनने और इससे बने मूर्ति की पूजा का विशेष महत्व है। असली स्फटिक शरीर से नेगेटीव एनर्ज को दूर करता है, मन और शरीर को शांत करता है और मां लक्ष्मी की कृपा भी बरसती है। यही वजह है कि आजकल लोगों में इसकी भारी मांग है – और इसी मांग का फायदा उठाकर कई दुकानदार नकली स्फटिक (कांच या प्लास्टिक की बनी जूलरी) को असली बताकर ग्राहकों को धोखा दे रहे हैं। ऐसे में अगर आपको भी स्फटिक का माला, ब्रेसलेट और जूलरी चाहिए, तो खरीदने से पहले ऐसे कर सकते हैं असली और नकली जूलरी की पहचान।
असली स्फटिक हमेशा छूने पर ठंडा महसूस होता है, चाहे मौसम कोई भी हो। नकली कांच या प्लास्टिक गर्मी में गर्मी और सर्दी में सामान्य तापमान का महसूस होता है, तो आप छूकर भी स्फटिक जूलरी को पहचान सकते हैं।
असली स्फटिक थोड़ा ट्रांसपेरेंट होता है लेकिन उसमें कभी-कभी हल्के दरारें या बबल जैसी आकृतियां स्वाभाविक होती हैं। बिल्कुल साफ और पूरी तरह ट्रांसपेरेंट स्फटिक अक्सर नकली होता है।
असली स्फटिक बिना रंग का होता है। अगर जूलरी में किसी भी प्रकार की रंगीन चमक दिखे, तो समझ लें वह केमिकल से रंगी गई नकली स्फटिक है।
असली स्फटिक थोड़ा भारी होता है। जबकि नकली कांच या ऐक्रेलिक से बनी जूलरी हल्की होती हैं। माला या अंगूठी का वजन उठाकर अंतर महसूस कर सकते हैं।
स्फटिक को सूरज की रोशनी में देखने पर इंद्रधनुषी चमक (Rainbow Reflection) आ सकता है, लेकिन वह हल्का और नेचुरल होता है। अधिक चमकदार और रंगीन रिफ्लेक्शन नकली हो सकती है।
अंधरे में स्फटिक के माले या ब्रेसलेट को एक दूसरे से रगड़ें, जब सभी स्फटिक के मोती एक दूसरे से टकराएंगे, तो इसमें छोटी-छोटी चिंगारी उत्पन्न होगी, जिससे आप जान पाएंगे कि यह असली स्फटिक जूलरी है, वहीं चिंगारी न निकले तो वह स्फटिक जूलरी नहीं है।