करवा चौथ पर क्यों किया जाता है सोलह श्रृंगार, जाने 1-1 चीज को पहनने का महत्व

करवा चौथ का व्रत इस बार 13 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। लेकिन करवा चौथ पर 16 श्रृंगार करने का महत्व क्या है आइए हम आपको बताते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 12, 2022 6:22 AM IST

लाइफस्टाइल डेस्क : कहते हैं गहना महिला की खूबसूरती होता है और जब वह सोलह श्रृंगार करके सजती है तो उनकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। इन 16 श्रृंगार में माथे की बिंदिया, मांग टीका, लाली, चूड़ी, बिछिया, कंगन, पाजेब कई चीजें शामिल होती है। खासकर करवा चौथ के मौके पर सोलह श्रृंगार करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजती हैं और अपने पिया की लंबी उम्र और उनके स्वास्थ्य के लिए कामना करती है। इस बार करवा चौथ का त्योहार 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है और इसे लेकर महिलाओं की तैयारियां भी पूरी हो चुकी है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं इन 16 श्रृंगार के बारे में...

मांग टीका 
किसी भी इंडियन आउटफिट जैसे साड़ी, लहंगे पर मांग टीका लगाने से आपका चेहरा खिल जाता है और सबकी नजरें आप पर ही टिक जाती हैं। आजकल बाजारों में कई तरह के मांग टीका उपलब्ध है जिसमें स्टोन, मोती, मीनाकारी और फूलों से बने मांग टीके बहुत ट्रेंड में है।

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बिंदी
बिंदी को महिलाओं के माथे के बीच में भौंहों के बीच की जगह में लगाई जाती है। परंपरागत रूप से, यह गोलाकार और लाल रंग का होती है लेकिन आप अपनी ड्रेस के अनुसार इसे चुन सकते हैं। कहते है माथे पर बिंदी लगाने से आपको सिर दर्द और माइग्रेन की समस्या भी नहीं होती है।

सिंदूर
मान्यताओं के अनुसार अगर कोई महिला सिंदूर पहनती है, तो देवी पार्वती बुरी आत्माओं को दूर करती हैं और अपने पति की रक्षा करती हैं, जिससे उन्हें लंबी उम्र मिलती है।

काजल
काजल सिर्फ आंखों की शोभा ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसे लगाने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है। माना जाता है कि काजल लगाने से आप बुरी नजरों से बचते हैं। 

नथ
नथ या नथनी मोती, रत्न और हीरे से बनी होती है और बायीं नासिका में पहनी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार नथ आध्यात्मिकता, रॉयल्टी, बहादुरी और पारित होने के एक संस्कार का प्रतीक है।

झुमके
कान की बालियां या झुमके कई डिजाइनों में जैसे- एम्बेडेड रत्नों, पत्थरों और हीरे के साथ आते हैं। महिलाओं का कानों में झुमके पहनना शुभ माना जाता है।

मंगलसूत्र
काले मोतियों की माला को मंगलसूत्र कहा जाता है और इसे रत्नों, पत्थरों और हीरों से अलंकृत किया जाता है। पौराणिक कथाओं के रूप में यह विवाह का प्रतीक है, एक महिला इसे आजीवन पहनती है।

बाजूबंद
बाजूबंद ऊपरी बांह पर अक्सर ब्लाउज की आस्तीन पर पहने जाते हैं। इसमें मुगल, जयपुरी या राजस्थानी बाजूबंदों के सबसे लोकप्रिय डिजाइन हैं। पौराणिक कथा यह कहा जाता है कि बाजूबंद उन्हें बुरी नजरों को दूर रखकर बुराइयों से बचाते हैं।

मेहंदी
करवा चौथ पर विशेष रूप से मेहंदी लगाई जाती है। महिलाएं अपनी पसंद अनुसार हाथ और पैरों में मेहंदी लगवाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि मेहंदी का रंग जितना गहरा होगा, आपके जीवनसाथी का प्यार उतना ही गहरा होगा। माना जाता है कि मेहंदी बुरे प्रभावों से रक्षा करके दुख, बीमारियों और मृत्यु को दूर रखती है। मेंहदी प्यार का सार, बंधन की ताकत और पति और पत्नी के बीच संबंध का प्रतीक है।

चूड़ी
चूड़ियां विवाह की एक और निशानी हैं और हाथों की कलाइयों में पहनी जाती हैं। ये कांच, लोहे, धातु, हाथी दांत, चीनी मिट्टी और सोने से बने होती हैं।

अर्सी
अर्सी यानी की थम्ब रिंग 16 श्रृंगारों में से एक है। इन अंगूठी में छोटे दर्पण होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब महिला एक घूंघट रखती है, तो इससे उसे जीवन की झलक मिलती है।

करधनी
कमरबंद या करधनी एक खूबसूरत बेल्ट की तरह होती है जिसे कमर के चारों ओर बांधा जाता है। यह रत्नों और कीमती पत्थरों से बना होता है। यह आभूषण न केवल सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि साड़ी या पोशाक को जगह में रखने में भी मदद करता है। पौराणिक कथा कमरबंद सोने से बना है, जो भविष्य की सफलता का संकेत देता है। कुछ लोग इसे दंपत्ति के होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य से जोड़ते हैं।

पायल
पायल चांदी की बनी और पैरों में पहनी जाने वाली चेन होती है। इस खूबसूरत एक्सेसरी के किनारों पर छोटे-छोटे घुंघरू लगे होते हैं, जिस पहनकर चलने पर मीठी धुन सुनाई देती है। आध्‍यात्मिक मान्‍यता के अनुसार यदि किसी महिला का स्वास्थ्य अत्यंत खराब रहता है तो पायल पहनने से उनकी सेहत में सुधार आने लगता है।

बिछिया
पायल के साथ ही पैर की उंगलियों में अंगूठियां डाली जाती हैं, जो शादी का प्रतीक है। जिसे बिछिया कहा जाता है। कहते है बिछिया पहनने महिलाओं में मासिक चक्र नियमित हो जाता है। साथ ही बिछिया महिलाओं के प्रजनन अंग को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है।

इत्र
इसे महिला की महक को अच्छा बनाए रखने के लिए लगाया जाता है और ये उन्हें तरोताजा रखता है। मान्यताओं के अनुसार सुगंध की लंबे समय तक चलने वाली मीठी सुगंध सकारात्मक और सुखद आभा का प्रतीक है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वातावरण को शुभ और स्वागत योग्य रखता है।

गजरा
16 श्रृंगारों में गजरा भी एक है। कहा जाता है कि बालों में गजरा लगाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। गजरा लगाने से पति पत्नी में प्रेम बना रहता है।

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