Ajrakh print History: अजरख प्रिंट, एक खूबसूरत भारतीय हैंडब्लॉक तकनीक, गुजरात और राजस्थान में प्रसिद्ध है। नीले और लाल रंगों से सजे इस प्रिंट का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है। कैसे बनता है, क्या है कीमत, और इसके क्या फायदे हैं, सब जानें।
फैशन डेस्क : अजरख प्रिंट देखते ही देखते खूब पॉपुलर हो चुका है। मार्केट में इस प्रिंट की साड़ी, सूट, ब्लाउज से लेकर बैग्स तक खूब धड़ल्ले से बिक रहे हैं। अगर आप फैशन लवर हैं तो आज हम आपको इसके बारे में A टू Z जानकारी देने वाले हैं। अजरख प्रिंट एक पारंपरिक भारतीय हैंडब्लॉक प्रिंटिंग तकनीक है, जिसे मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के कच्छ क्षेत्र में बनाया जाता है। यह प्रिंट अपनी अनोखी ज्यामितीय डिजाइनों और नेचुरल रंगों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध है। 'अजरख' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है नीला। यह प्रिंट आमतौर पर नीले और लाल रंगों में होता है और इसकी खासियत इसमें उपयोग किए गए रंगों और हाथों से ब्लॉक प्रिंटिंग करने की प्रक्रिया में है।
अजरख प्रिंट की जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी मानी जाती हैं, जो लगभग 4500 साल पुरानी है। यह कला मुगलों के शासनकाल में भी बहुत प्रचलित थी। अजरख प्रिंट मुख्य रूप से सिंध (अब पाकिस्तान में), राजस्थान और गुजरात के कच्छ में बनता रहा है। इस प्रिंट को विशेष रूप से मुस्लिम कारीगरों ने आगे बढ़ाया और संरक्षित रखा। आज दुनियाभर में इस भारतीय कला का खूब बोलबाला है।
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कपड़े की तैयारी: अजरख प्रिंट के लिए कपड़े को कई बार धोया और साफ किया जाता है ताकि उसमें मौजूद सभी अशुद्धियां हट जाएं।
डाइंग (रंगाई): सबसे पहले कपड़े को हार्डा (एक प्रकार की प्राकृतिक सफेदी देने वाली चीज) से रंगा जाता है। यह कपड़े को मजबूत और चिकना बनाता है।
ब्लॉक प्रिंटिंग: लकड़ी के ब्लॉक्स का उपयोग कर डिजाइन बनाए जाते हैं। ये ब्लॉक्स पहले से तैयार किए जाते हैं और इन्हें सटीकता के साथ प्रिंट करने के लिए उपयोग किया जाता है।
नेचुरल रंगों का उपयोग: अजरख प्रिंट में नेचुरल रंगों का इस्तेमाल होता है, जो पौधों, फूलों, और खनिजों से निकाले जाते हैं। उदाहरण के लिए, नीला रंग इंडिगो पौधे से प्राप्त होता है और लाल रंग लकड़ी के विशेष प्रकार से।
बार-बार धोना और रंगाई: प्रिंटिंग के बाद कपड़े को बार-बार धूप में सुखाकर धोया जाता है ताकि रंग स्थिर हो जाएं।
अजरख प्रिंट के कपड़ों की कीमत उनकी गुणवत्ता, डिजाइन और कपड़े के आधार पर अलग-अलग होती है। साधारण अजरख प्रिंट के दुपट्टे ₹1000 से ₹3000 तक मिल सकते हैं, जबकि सूती साड़ियां ₹2000 से ₹5000 तक होती हैं। सिल्क और महंगे कपड़े वाले अजरख डिजाइनों की कीमत ₹5000 से ₹15000 तक भी जा सकती है। हैंडमेड होने के कारण यह प्रिंट लाखों तक भी महंगा होता है, क्योंकि इसमें कारीगरों की कड़ी मेहनत और समय लगता है।
1. नेचुरल रंगों का उपयोग: अजरख प्रिंट के कपड़े प्राकृतिक रंगों से बनाए जाते हैं, जो केमिकल-फ्री होते हैं। ये स्किन-फ्रेंडली होते हैं और त्वचा पर एलर्जी या जलन का खतरा कम करते हैं।
2. सस्टेनेबल फैशन : यह प्रिंट पर्यावरण-अनुकूल है क्योंकि इसे बनाने में प्राकृतिक रंगों और पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। यह पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरूकता का भी प्रतीक है।
3. सांस लेने योग्य कपड़ा: अजरख प्रिंट ज्यादातर सूती और खादी जैसे कपड़ों पर बनाया जाता है, जो हल्के और सांस लेने योग्य होते हैं। ये गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में आराम देते हैं, जिससे इन्हें किसी भी मौसम में पहना जा सकता है।
4. आरामदायक: अजरख प्रिंट के कपड़े हल्के और आरामदायक होते हैं, जिससे इन्हें लंबे समय तक पहनने में कोई परेशानी नहीं होती। ये विशेष रूप से गर्मियों के लिए बहुत अच्छे होते हैं।
5. सभी अवसरों के लिए उपयुक्त: अजरख प्रिंट के कपड़े हर अवसर पर पहने जा सकते हैं। ये कैजुअल आउटिंग से लेकर खास मौकों तक के लिए उपयुक्त होते हैं और इन्हें कुर्ता, साड़ी, दुपट्टा, शर्ट आदि विभिन्न प्रकार के परिधानों में उपलब्ध किया जाता है।
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