
बिहार में 6 नवंबर को पहले फेज की वोटिंग जारी है। यूपी का पड़ोसी राज्य IAS-IPS की फैक्ट्री माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, ये केवल होनहार युवाओं के साथ ट्रेडिशनल कला और हैंडीक्राफ्ट का भी अद्भुत नमूना पेश करता है। यहां की मधुबनी पेंटिंग दुनियाभर में अलग पहचान रखती हैं, लेकिन यहां जानें उन अन्य हस्तशिल्प के बारे में, जो इस स्टेट से निकलकर विश्व में धूम मचा रही हैं।
मधुबनी कला पेंटिंग के साथ अब कपड़ों में उकेरी जाने लगी है। भगवान, प्रकृति, पशु-पक्षी, जानवरों को समर्पित ये कला पहले घर की दीवारों और शादियों तक सीमित थी लेकिन आज इसे टेक्सटाइल में भी खूब पसंद किया जा रहा है।
सुजनी कढ़ाई के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये एक के बाद एक कपड़ों को आपस में जोड़कर बनाई जाती है। इस कला की शुरुआत भुसरा गांव से हुई थी, लेकिन ये बिहार की पहचान बन चुकी है। आजकल साड़ी, सलवार सूट, चादर, कंबल और तकिया कवर में ये कढ़ाई की जाती है।
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सिल्क-बनारसी साड़ियों के लिए वाराणसी हब माना जाता है, लेकिन बिहार के भागलपुर से निकली टसर सिल्क साड़ी ब्रिटिश काल से चर्चा में रही है। रेशम की धागों, कलरफुल धारियों और चेक-स्क्वायर बनावट के साथ ये बहुत आकर्षक लगती है। भारत नहीं बल्कि विदेशों में इसकी खूब डिमांड है।
बिहार के उत्तरी क्षेत्र की पहचान सिक्की घास प्राकृतिक फाइबर और सुनहरे रंग में आती है। इससे 20-25 दिन सुखाया जाता है, तब जाकर इससे चटाई, कड़े यहां तक ज्वेलरी बनाई जाती है। आजकल घर को एस्थेटिक दिखाने के लिए सिक्की घास हैंडीक्राफ्ट का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
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अखबार या कोई भी कागज पानी में घुलता है, लेकिन यहां के सलेमपुर गांव के लोग पेपर से हैंडीक्राफ्ट मूर्ति तैयार करते हैं। सबसे पहले कागज को भिगोकर आटे की तरह माढ़ा जाता है, इसके बाद गोंद और मिट्टी संग आकार देकर घिसाई की जाती है, ताकि ये चिकना लगे। आखिर में मधुनी पेंटिंग इसे और भी खास बना देती है।
बिहार स्थित गया ब्लैक स्टोन क्राफ्ट के लिए फेमस है। यहां पत्थरों को तराश कर मूर्तियां, होम डेकोर और किचन आइटम तैयार किए जाते हैं।
इतिहास, संस्कृति के साथ बिहार कला, बौद्ध और जैन धर्म का जन्मस्थान, लिट्टी-चोखा और छठ पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
सुजानी एंब्रॉयडरी के साथ बिहार की भागलपुरी सिल्क साड़ी खूब पसंद की जाती है।
इससे रेशम के धागों और सुंदर नेचुरल रंगों के साथ आने वाली भागलपुरी साड़ी बीतते समय के साथ और भी चमकदार होती जाती है।
बिहार के मिथिला और नेपाल के कुछ हिस्सों में अभी भी शादी-ब्याह से लेकर घर की दीवारों पर मुधबनी कला उकेरी जाती है।