
Malala Day History: 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रात के स्वात जिले में एक बहादुर लड़की का जन्म हुआ। नाम है मलाला यूसुफजई। शिक्षा को लेकर उसके अंदर ऐसा जुनून था कि उसने तालिबानियों की गोली भी खाई बावजूद इसके उसके अंदर का जोश कम नहीं हुआ। 2014 में मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया, वो ये पुरस्कार पाने वाली सबसे युवा व्यक्ति बनीं।
मलाला डे का इतिहास (Malala Day History)
मलाला डे की शुरुआत 12 जुलाई 2013 को तब हुई जब मलाला ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया। इससे एक साल पहले, 2012 में, उन्हें तालिबान ने स्कूल जाने की वजह से गोली मार दी थी। संयुक्त राष्ट्र ने उनकी बहादुरी और शिक्षा के अधिकार के समर्थन में उनकी जन्मतिथि को ‘मलाला डे’ घोषित किया। उस दिन मलाला ने कहा था,'
"One child, one teacher, one book, one pen can change the world।'
मलाला डे का महत्व (Significance Of Malala Day)
इस दिन को मनाने का मकसद लड़कियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने की मुहिम को और मजबूत करना है। यह दिन दुनिया भर के नेताओं और समाज को याद दिलाता है कि शिक्षा कोई विलासिता नहीं, बल्कि हर बच्चे का मूल अधिकार है।यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति की हिम्मत और दृढ़ संकल्प पूरी दुनिया को बदल सकता है। मलाला उन लाखों बच्चियों की आवाज़ हैं जिन्हें आज भी शिक्षा से वंचित रखा गया है।
मलाला के प्रेरणादायक कथन ( quotes of Malala Yousafzai)
1.जब पूरी दुनिया चुप हो, तब एक आवाज भी ताकतवर बन जाती है।
2.हम अपने भविष्य को आज ही बनाएं, और अपने सपनों को कल की हकीकत बनाएं।
3.मैं अपनी आवाज इसलिए नहीं उठाती कि मैं चिल्ला सकूं, बल्कि इसलिए ताकि जिन्हें कोई नहीं सुनता उन्हें सुना जा सके।
4.एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब, एक कलम... दुनिया बदल सकते हैं।
5.मैं यह नहीं चाहती कि मुझे उस लड़की के रूप में याद किया जाए जिसे गोली मारी गई थी, मैं वह लड़की बनना चाहती हूं जिसने खड़े होकर आवाज उठाई।
6.मैं उस लड़की के रूप में याद नहीं रहना चाहती जिसे गोली मारी गई थी। मैं उस लड़की के रूप में याद रहना चाहती हूं जो उठ खड़ी हुई।
7.अगर एक आदमी सब कुछ तबाह कर सकता है, तो एक लड़की उसे क्यों नहीं बदल सकती?
8.जब कोई आपकी कलम छीन लेता है, तब आपको एहसास होता है कि शिक्षा कितनी जरूरी है।
9.मैं अपनी कहानी इसलिए नहीं सुनाती कि यह अनोखी है, बल्कि इसलिए कि यह अनोखी नहीं है। यह कई लड़कियों की कहानी है।
मलाला यूसुफजई के बारे
मलाला एक पाकिस्तानी एक्टिविस्ट हैं जो लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करती हैं। 2009 में उन्होंने एक छद्म नाम से ब्लॉग लिखना शुरू किया जिसमें उन्होंने तालिबान के बढ़ते प्रभाव और शिक्षा पर पाबंदी का विरोध किया। बाद में उन्होंने और उनके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई ने मिलकर Malala Fund की स्थापना की जो दुनिया भर में लड़कियों को शिक्षित और सशक्त बनाने का काम कर रहा है।