Nita Ambani ने पहनी केरल की Gold Kasavu Saree, 20 दिन में बना 9 इंची बॉर्डर

Nita Ambani Stuns In Kasavu Saree: नीता अंबानी को हाल ही में अपने सांस्कृतिक केंद्र में हुए एक कार्यक्रम में स्वदेश की सफेद और गोल्डन रंग की कसावु साड़ी में देखा गया। जानें क्या है कसावु साड़ी और क्या है इसकी खासियत?

नीता अंबानी के फैशनसेंस की पूरी दुनिया मुरीद है। उनकी नजर हर तरह की बेहतरीन चीजों में पारखी है, जिसमें देश की सबसे खूबसूरत साड़ियां भी शामिल हैं। अक्सर नीता अंबानी को एक से बढ़कर एक बनारसी साड़ियों में देखा जाता है जिससे पता चलता है कि उनके वार्डरोब में इसका बड़ा कलेक्शन है। हालांकि इस बार नीता को कुछ नई तरह की ट्रेडिशनल साड़ी ट्राई करते हुए देखा गया। हालिया एक इवेंट में नीता अंबानी को केरल की पारंपरिक कसावु साड़ी पहने देखा गया, जिसे वो बहुत ही ग्रेसफुल तरीके से कैरी किए नजर आईं। नीता अंबानी ने इस बार चमक-दमक से दूर रहकर सादगी को अपनाते हुए केरल की ये रॉयल साड़ी चुनी है।

सोने के धागे से बनती हैं कसावु साड़ियां

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दरअसल अपनी बेहतरीन पसंद के लिए मशहूर नीता मुकेश अंबानी ने हाल ही में अपने सांस्कृतिक केंद्र में हुए कार्यक्रम में स्वदेश की ये सफेद और गोल्डन रंग की कसावु साड़ी पहनी। जिसे केरल के फाइन आर्टिस्टों द्वारा 20 दिनों में तैयार किया गया है। इस साड़ी में टिशू पल्लू, मैरून मीनाकारी बूटा और 9 इंच का शानदार गोल्डन बॉर्डर है। कसावु साड़ियां, केरल की सबसे पॉपुलर शाही हैंडलूम साड़ी है। कसावु साड़ियों का इतिहास काफी पुराना है और इनकी कम कढ़ाई वाली सादगी ही इसे शाही बनाती हैं। मल्टी कलर सिल्हूट और बोल्ड पैटर्न वाले देश में, कसावु साड़ियां संयम और शान का प्रतीक हैं। यहां नीता द्वारा ये साड़ी पहनने के पीछे का कारण एक गहरी सांस्कृतिक विरासत छिपी हुई है।

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केरल की इस पारंपरिक साड़ी को बनाने के लिए जरी का उपयोग किया जाता है। जरी यानि एक प्रकार का सोने का धागा है इससे एंट्रीकेट कढ़ाई  करके कसावु साड़ियां बनाई जाती हैं। इसमें बहुत ही डीसेंट आर्ट वर्क किया जाता है। बलरामपुरम, चेंदमंगलम और कुथमपुली जैसे भौगोलिक समूहों में बनने वाली ये साड़ियां केरल की हथकरघा विरासत का हिस्सा हैं।

 

कसावु साड़ियों की मोटी कीमत

कसावु साड़ियों की प्रोडक्शन प्रक्रिया इंट्रीकेट के आधार पर अलग होती है। नॉर्मल साड़ी को बनने में 3-5 दिन से लेकर डिजाइन के आधार पर एक महीने तक का समय लगता है क्योंकि ये सभी सावधानीपूर्वक हाथ से बुनी जाती हैं। सोने के धागे और शिल्प कौशल के आधार पर, ये साड़ियां सस्ती हैंडलूम कीमत से लेकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा तक मोटी कीमतों पर बेची जाती हैं। आपको बता दें, मिनिमल डिजाइन के लिए जानी जाने वाली ये साड़ी आमतौर पर सादे सफेद कपड़े के साथ विशिष्ट सेल्वेज बॉर्डर को लेकर बनाई जाती हैं, जड़ाई या जैक्वार्ड तकनीक के माध्यम से पैटर्न सजे होते हैं। बॉर्डर की मोटाई और रंग अवसर पर निर्भर करता है, आमतौर पर ये मोटे सोने के बॉर्डर से सजी होती हैं।

और पढ़ें -  Mulberry Silk से Paithani Saree तक, 8 महंगी साड़ी की शौकीन Nita Ambani

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