इंडोनेशियाई गांवों में गरीब युवतियां पैसे के बदले अल्पकालिक शादी के बंधन में बंध रही हैं, जिसे 'प्लेजर मैरिज' कहा जाता है। यह शादियां ज्यादातर मध्य पूर्व के पर्यटकों के साथ होती हैं और पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रही हैं।
जकार्ता: इंडोनेशियाई गांवों में 'प्लेजर मैरिज' के मामले बढ़ रहे हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने यह खबर दी है। गरीब पृष्ठभूमि की युवतियां पैसे के बदले अल्पकालिक शादी के बंधन में बंध जाती हैं, इसे 'प्लेजर मैरिज' कहा जाता है। यह शादियां ज्यादातर मध्य पूर्व के पर्यटकों के साथ होती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी इंडोनेशिया के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पंकक में यह प्रथा व्यापक है, जो अरब पर्यटकों को आकर्षित करता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोटा बुंगई के माउंटेन रिसॉर्ट में एजेंसियों द्वारा आयोजित की जाने वाली इन अस्थायी शादियों के जरिए कई पर्यटक स्थानीय महिलाओं का यौन शोषण करते हैं। एजेंसियां ही महिलाओं को पर्यटकों से मिलवाती हैं। दोनों पक्षों की सहमति के बाद, एक अनौपचारिक विवाह समारोह जल्दी से आयोजित किया जाता है। इसके बाद पुरुष महिला को दहेज देता है और बदले में, महिला को दूल्हे के जाने तक यौन और घरेलू सेवाएं प्रदान करनी होती हैं। पर्यटक के वापस जाने पर शादी टूट जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'प्लेजर मैरिज' एक लाभदायक उद्योग बन गया है और पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है।
शुरुआत में, परिवार के सदस्य या परिचित पर्यटकों को महिलाओं से मिलवाते थे, लेकिन अब एजेंसियां ने यह काम संभाल लिया है। एक महिला ने बताया कि उसने पर्यटकों से 15 बार शादी की है। उनका पहला पति 50 वर्षीय सऊदी अरब का नागरिक था। शादी 850 डॉलर में हुई थी। कमीशन काटकर उन्हें इसका आधा ही मिला। शादी के पांच दिन बाद दूल्हा अपने देश लौट गया। निकाह मुत्'आह के रूप में जानी जाने वाली ये अस्थायी शादियां शिया इस्लाम संस्कृति का हिस्सा हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस प्रथा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह कमजोर महिलाओं के शोषण और यौन पर्यटन को बढ़ावा देती है।