
Premanand Maharaj Ji: सास-ससुर का रिश्ता बहू के साथ बिल्कुल माता-पिता जैसा होना चाहिए। लेकिन कई घरों में बहू के प्रति उनका व्यवहार काफी निगेटिव होता है। वे बहू को गलत तरीके से ट्रीट करते हैं, जिसकी वजह से बहू का मन उनके प्रति खराब हो जाता है और वह सेवा भाव से भी कतराने लगती है। धर्म से विमुख होने पर बहू दुखी भी रहती है। ऐसी ही एक महिला वृंदावन में प्रेमानंद जी महाराज के पास पहुंची और अपने मन की व्यथा बताई। अब जानते हैं कि महाराज जी ने किस तरह उसे मार्ग दिखाया।
विचलती महिला का प्रश्न: ससुराल में अपमान और नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है। धर्म कहता है सम्मान करो, लेकिन सत्य यही है कि मन नहीं करता और हृदय व्याकुल रहता है।
प्रेमानंद जी महाराज का उत्तर: अभी आपने धर्म का सही परिचय नहीं पाया है। अगर धर्म का परिचय पा लिया होता, तो आपके सास-ससुर के प्रति भाव कभी नकारात्मक हो ही नहीं सकता। वे आपके प्रति नकारात्मक भाव रखते हैं, यह उनका दृष्टिकोण है। लेकिन आप धर्म से चलने वाली हैं, और धर्म कहता है-सास-ससुर को भगवत् स्वरूप देखो। वे जितना चाहें नकारात्मक हों, वे आपको परास्त नहीं कर सकते, क्योंकि आप धर्म पर चल रही हैं। धर्म पर चलने वाला व्यक्ति दुखी तो हो सकता है, पराजित कभी नहीं।
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प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj Ji) कहते हैं कि बहू को चाहिए कि वह अपने सास-ससुर से माता-पिता जैसा व्यवहार करे और सास को चाहिए कि वह अपनी बहू को बेटी की तरह प्यार दे। जिन घरों में स्त्रियों को सताया जाता है, प्रताड़ना दी जाती है, उन् घरों में श्रीजी, लक्ष्मी जी नहीं रुक सकती हैं। उनके घर में कभी सुख-शांति नहीं रहती है। दूसरे के घर से बिटिया आपके घर आई है, अगर आपकी बिटिया थोड़ी बिगड़ैल होती तो क्या करते हैं। अगर बहू थोड़ी बदमाश है, तो उसे थोड़ा बर्दाश्त करें। उसका स्वभाव धीरे-धीरे सुधर जाएगा। महाराज जी का यह संदेश हमें सिखाता है कि परिवार का असली सुख तभी संभव है, जब घर में प्रेम और सम्मान का वातावरण हो। जहां स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां भगवान की कृपा और शांति घर में रहती है।
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