Family Disputes Reasons: परिवार का मतलब है सबका साथ, लेकिन आजकल ये बिखरने लगे हैं। पति-पत्नी में दूरियां बढ़ रही हैं, बच्चे अपने रास्ते जा रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसका कारण प्रेमानंद जी महाराज ने बताया।
Premanand Maharaj Ji Advice: पति-पत्नी के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, बच्चे गलत रास्ते पर जा रहे हैं, और सास-ससुर व बहू के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है। आज के दौर में परिवार की यह तस्वीर हर दूसरे घर में देखने को मिल रही है। जहां पहले परिवार सबके साथ और सहयोग से बनता था, वहीं आज इसमें बिखराव की स्थिति पैदा हो रही है। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या बदल गया, जिसकी वजह से परिवार बिगड़ रहा है? इस सवाल का जवाब प्रेमानंद जी महाराज ने दिया है।
फैमिली में बिखराव क्यों आ रहा है?
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि आज परिवार के बिगड़ने का मुख्य कारण यह है कि हम बच्चों पर सही तरीके से शासन नहीं कर पा रहे हैं। पक्की बात समझ लीजिए,अगर बचपन से अनुशासन और नियंत्रण हो, तो बच्चे बहुत मर्यादित हो जाते हैं। लेकिन आजकल छोटेपन से ही बच्चों को मोबाइल थमा दिया जाता है और उन्हें पूरी छूट दे दी जाती है। माता-पिता अपनी मस्ती में व्यस्त रहते हैं और बच्चे बिगड़ जाते हैं। ऐसे बच्चे जब बड़े होते हैं, तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है।
बच्चे क्यों दे रहे हैं आत्महत्या की धमकी ?
उन्होंने आगे कहा कि आज समाज में कई गंभीर समस्याएं मौजूद हैं। अगर बच्चे गलत रास्ते पर जा रहे हों और माता-पिता उन्हें टोकने, डांटने या संभालने की कोशिश करें, तो कई बच्चे कह देते हैं- "आत्महत्या कर लूंगा"। इस डर से माता-पिता पीछे हट जाते हैं और सोचते हैं, जैसे चलना है वैसे चलो, क्यों आत्महत्या करोगे।
क्रोध क्या करना सही है?
अंत में उन्होंने कहा कि अगर परिस्थिति में क्रोध दिखाना जरूरी हो, तो अभिनय के रूप में दिखा सकते हैं, लेकिन सच में क्रोध न करें। अन्यथा शांत रहें और अपना कार्य जैसे चल रहा है, वैसे ही चलने दें।
कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज?
प्रेमानंद जी महाराज का पूरा नाम प्रेमानंद गोविंद शरण (पूर्व में अनिरुद्ध कुमार पांडे)। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़ दिया और बनारस में गंगा के किनारे ब्रह्मचारी जीवन अपनाया। बाद में उन्होंने वृंदावन में रहना शुरूकिया और राधा-कृष्ण भक्ति पर आधारित ‘राधावल्लभ संप्रदाय’ से जुड़ गए। उनका मुख्य आश्रम श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन में स्थित है, जो भक्तों के लिए एक शांति एवं भक्ति का केंद्र है।
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