राम की तरह सत्यवादी
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में प्रभु श्रीराम में 16 गुण बताए गए हैं। धर्म का ज्ञाता, कृतज्ञ, सत्यवादी, वचन का पक्का, चरित्र में संपन्न, सभी प्राणियों के लिए हितकारी,वीर्यवान, विलक्षण रूप से सुखदायक व संयमी, क्रोध पर विजय पाने वाला, ईर्ष्या रहित, तेजस्वी, डर को हराने वाला, सबका सम्मान करने वाला ये सभी गुण हर्षि इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए श्रीराम में थे। अगर आप इन गुणों से कुछ गुण भी अपने अंदर विकसित कर लेते हैं तो फिर आपका मान-सम्मान बढ़ जाएगा।