Tiny pores on the surface of leaf is called: पौधों के मिनी फेफड़ों को क्या कहा जाता है। जानें आखिर प्लांट कैसे सांस लेते हैं और इसमें पत्तियां कैसे मदद करती हैं।
पौधों की पत्तियों को अगर ध्यान से देखें, तो उनकी सतह पर बहुत ही छोटे-छोटे छिद्र (holes) दिखाई देते हैं। आमतौर पर ये नंगी आंखों से साफ दिखाई नहीं देते, लेकिन माइक्रोस्कोप में देखने पर ये बेहद साफ दिखते हैं। आखिर इन होल्स को क्या कहते हैं? और इनका काम क्या है? दरअसल इन छोटे छिद्रों को स्टोमाटा (Stomata) कहा जाता है। स्टोमाटा पौधों के जीवन के लिए उतने ही जरूरी हैं, जितने इंसानों के लिए फेफड़े।
स्टोमाटा क्या होते हैं?
स्टोमाटा (Stomata) ऐसे छोटे-छोटे छेद होते हैं जो पत्तियों की ऊपरी या निचली सतह पर मौजूद रहते हैं। ये छिद्र पौधे को सांस लेने, पानी छोड़ने और गैसों के आदान–प्रदान में मदद करते हैं।
पौधे की सांस लेने की प्रक्रिया: स्टोमाटा के जरिए पौधा बाहर से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) लेता है और ऑक्सीजन (O₂) रिलीज करता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे इंसान सांस लेते हैं, पौधे के लिए ये छिद्र फेफड़ों की तरह काम करते हैं।
ट्रांसपिरेशन यानी पानी का निकलना: पौधे अपनी पत्तियों से पानी के वाष्प को बाहर निकालते हैं। यह प्रक्रिया स्टोमाटा के माध्यम से ही होती है। इससे पौधा ठंडा रहता है और जड़ों से पोषक तत्व ऊपर पहुंचते हैं।
फूड मेकिंग यानी Photosynthesis: स्टोमाटा CO₂ अंदर ले आते हैं, जिससे पौधा सूरज की रोशनी में फोटोसिंथेसिस करके अपना भोजन बनाता है। अगर स्टोमाटा न हों, तो पौधा अपना खाना ही नहीं बना पाएगा।
स्टोमाटा के दोनों तरफ दो बीन्स जैसी कोशिकाएं होती हैं जिन्हें गार्ड सेल्स कहते हैं।
जब ये कोशिकाएं पानी से भरकर फूल जाती हैं, तो छिद्र खुल जाते हैं।
जब कोशिकाओं में पानी कम होता है, तो छिद्र बंद हो जाते हैं।
इसी खुले-बंद होने की प्रक्रिया से पौधा अपने अंदर की नमी और गैसों को कंट्रोल करता है।
स्टोमाटा ज्यादातर कहां पाए जाते हैं?
ज्यादातर पौधों में स्टोमाटा पत्ती की निचली सतह पर ज्यादा होते हैं। इससे पानी का नुकसान कम होता है। लेकिन कुछ जलीय पौधों (water plants) में ये ऊपरी सतह पर भी पाए जाते हैं।