13 हजार में खरीदा और 36 करोड़ में बेच दिया मास्क, जानें बुजुर्ग दंपति ने क्यों किया केस

एक बुजुर्ग कपल ने एक आर्ट डीलर पर केस किया है। उन्होंने बताया कि आर्ट डीलर ने उसे £129 (13216 रुपये) में अफ्रीकी फेस मास्क खरीदा और £3.6 मिलियन (36 करोड़ से ज्यादा) रकम में बेच दिया।

Nitu Kumari | Published : Oct 12, 2023 7:59 AM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. वो दुर्लभ मास्क था..लेकिन बुजुर्ग कपल को इस बात का अंदाजा नहीं था। जिसका फायदा आर्ट डीलर ने उठाया। करोड़ों के मास्क को उसने कौड़ियों के भाव से कपल से खरीदा और फिर उसके सही कीमत पर बेच दिया। इस बात का पता जब बुजुर्ग कपल को लगा तो उन्होंने आर्ट डीलर पर केस कर दिया। यह कपल फ्रांस के निम्स का रहने वाला है।

उन्होंने साल 2021 में उनके पास मौजूद फैंग एनगिल फेस मास्क को बेचने का फैसला किया। सितंबर 2021 में उन्होंने इस मिस्टर जेड नाम के एक आर्ट डीलर को बेच दिया था। आर्ट डीलर ने £129 (13216 रुपये) में उसे खरीदा। इसके बाद मिस्टर जेड ने इस मुखौटा की नीलामी की और £3.6 मिलियन यानी करीब 36 करोड़ 88 लाख 34 हजार 760 रुपये में बेच दिया। फ्रांसीसी कपल को इसके बार में पता नहीं था कि वो मास्क इतनी कीमती है। उन्होंने अखबार में इस मास्क के नीलामी के बारे में पढ़ा तो दंग रह गए। इसके बाद उन्होंने आर्ट डीलर पर केस किया और कहा कि उसने उसे धोखा दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि आर्ट डीलर ने कलाकृतियों के मूल्य पर अपना संदेह छुपाया।

समझौते से कपल के बच्चों को इंकार

हालांकि इस केस की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। लेकिन 28 जून तक, निम्स में अपीलीय कोर्ट ने फैसला सुनाया कि कपल का केस ‘सैद्धांतिक रूप से सही प्रतीत होता है। जब तक फैसला नहीं आ जाता है तब तक कोर्ट ने मास्क की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया है। वहीं, कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे आर्ट डीलर ने मामले को रफा दफा करने के लिए बुजुर्ग कपल को £259416 की पेशकश की। लेकिन उनके बच्चे ने इस समझौते का विरोध किया। बता दें कि यह मुखौटा बुजुर्ग महिला के पति के दादा फ्रांस लाए थे, जो अफ्रीका में कोलोनियल गवर्नर थे।

रेयर है यह मुखौटा

द मेट्रो न्यूज़ के अनुसार, यह आइटम गैबॉन का एक पारंपरिक फैंग मुखौटा है। जिसका उपयोग उपयोग शादियों और अंत्येष्टि जैसे अनुष्ठानों में किया जाता है। यह अफ्रीकी देश के बाहर एक दुर्लभ मास्क है। दुनिया भर के म्यूजियम में केवल कुछ ही पाए जाते हैं। परीक्षण के अनुसार मुखौटा 19वीं सदी का है, और अदालती दस्तावेज़ इस वस्तु को 'अपनी दुर्लभता के मामले में असाधारण' बताते हैं।

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