मेहंदी का हरा रंग, त्वचा पर लगने के बाद लाल, भूरा या काला क्यों रचता है? इसका जवाब मेहंदी में मौजूद एक खास रसायन 'लॉसोन' में छिपा है जो त्वचा के प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया कर रंग बदलता है। इस लेख में जानें मेहंदी के रंग बदलने के पीछे का रोचक विज्ञान।
तीज त्योहारों का सीजन है, ऐसे में लोग अपने हाथों को मेहंदी से तो जरूर रंग रहे होंगे। पहले के समय में मेहंदी के पत्तों को पीसकर मेहंदी बनाई जाती थी और उससे हाथ और बालों को रंगा जाता था। सदियों से मेहंदी लगाने की प्रक्रिया के पीछे एक सवाल आज भी हर मेहंदी लगाने वाले के मन में उठता होगा, कि आखिर मेहंदी का रंग लाल, नारंगी, काला या भूरा क्यों रचता है। मेहंदी की रंग तो हरी होती है, लेकिन ऐसा क्यों। आजे के इस लेख में हम आपके लिए मेहंदी से जुड़े इस सवाल का उत्तर लाए हैं, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
हरा मेहंदी लगाने पर लाल रंग रचने के पीछे का कारण नेचुरल केमिकल प्रोसेस और मेहंदी के अंदर पाए जाने वाले यौगिक होते हैं। मेहंदी की पत्तियों में एक प्रमुख रंग देने वाला यौगिक लॉसोन (lawsone) होता है, जिसे हन्नो टैनिक एसिड भी कहते हैं। यह लॉसोन त्वचा, बाल या नाखूनों में मौजूद प्रोटीन (कैरोटीन) के साथ मिलकर रासायनिक प्रतिक्रिया करता है, जिससे मेहंदी का रंग लाल-भूरे और नारंगी रंग में बदलता है।
हाथों में मेहंदी का रंग लाल, काला और भूरा क्यों रचता है?
1. लॉसोन का प्रभाव:
2. ऑक्सीकरण प्रक्रिया:
3. पीला, नीला या गुलाबी क्यों नहीं होता?
4. अन्य रंगों के प्रभाव की कमी:
5. रंग की तीव्रता:
हरी मेहंदी लगाने पर लाल रंग रचने का मुख्य कारण मेहंदी में मौजूद लॉसोन यौगिक है, जो त्वचा के प्रोटीन के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया कर गहरे लाल-भूरे रंग का निर्माण करता है। यह पीला, नीला या गुलाबी इसलिए नहीं बनाता क्योंकि मेहंदी में केवल लाल-भूरा रंग उत्पन्न करने वाले रासायनिक यौगिक ही होते हैं, और अन्य रंग देने वाले यौगिकों की अनुपस्थिति के कारण अन्य रंग नहीं रचता है।