
ऐसे समय में जब लोकप्रिय संगीत बेहतर होता दिख रहा है, कुछ युवा कश्मीरी लड़कियों ने एक संगीत समूह(The Yemberzal Band) बनाया है। जिसके जरिए सूफियाना जैसी पारंपरिक शैली से ये लड़कियां इस पुरुष-प्रधान समाज में पैठ बनाने में जुटी हुई हैं। वैसे इन लड़कियों का काम इतना आसान नहीं है, क्योंकि कश्मीर के पारंपरिक सूफियाना संगीत पर हमेशा से पुरुषों का प्रभुत्व में रहा है।
कैसे बना कश्मीरी लड़कियों का संगीत समूह
पांच साल पहले उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के एक दूरस्थ गांव गुनिस्तान में एक युवा लड़की इरफाना ने म्यूजिक ग्रुप की स्थापना की थी। उसने अपने पिता से सूफी संगीत की कला सिखाने की गुजारिश की। लड़की के पिता एक संतूर वादक हैं और उन्होंने इरफाना को घर पर ही संगीत सिखाया। जैसे ही इरफाना और उनकी छोटी बहनों ने पारंपरिक धुनों के साथ सूफी कलाम गाना शुरू किया तो उनकी पड़ोसी लड़कियों ने भी रुचि ली। इस तरह से इरफाना के पिता की कक्षा में दो और लड़कियां शामिल हुईं। बाद में उनमें से पांच ने मिलकर अपने ग्रुप का नाम सूफियाना ग्रुप रखा है। अब ये ग्रुप सामाजिक समारोहों में संगीत कार्यक्रम आयोजित करता है।
खुद के दम पर संगीत ग्रुप चला रहीं कश्मीरी लड़कियां
दरअसल सूफियाना ग्रुप के सभी सदस्य सामान्य परिवारों से हैं जिनकी आय पर्याप्त नहीं है। इसीलिए जैसे-जैसे इस संगीत ग्रुप को गायन के प्रस्ताव आने लगे, उन्होंने इनमें परफॉर्म करना शुरू किया। इसी से आने वाले पैसों से लड़कियों ने वाद्य यंत्र खरीदे और अपना सफर शुरू किया। अब तक ये लड़कियां अपने दम पर संगीत ग्रुप चला रही हैं। न सरकार और न ही किसी बड़े एनजीओ ने उनकी मदद की है।
इरफाना को ऐसे आया कश्मीरी ग्रुप बनाने का आइडिया
इस कश्मीरी ग्रुप की प्रमुख इरफाना वर्तमान में कश्मीर विश्वविद्यालय में संगीत विभाग में अध्ययन कर रही हैं। सूफियाना संगीत विलुप्त होने के करीब होने का एहसास के बाद इरफाना को संगीत में दिलचस्पी हुई थी। इरफाना ने बताया,'हालांकि इस पहल को शुरू करने में हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आर्थिक दिक्कतों के अलावा, सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने हमारे खिलाफ काफी नफरत फैलाई। लेकिन कुल मिलाकर हमारी इस पहल की तारीफ हुई और कई लोगों ने हम पर ढेर सारे प्यार और स्नेह की बारिश की।'
सूफी संगीत है कश्मीर की असली पहचान
सूफियाना ग्रुप की सभी लड़कियों को इरफाना के पिता मुहम्मद युसूफ ट्रेनिंग दे रहे हैं। मुहम्मद यूसुफ ने बताया, 'सूफी शायरी और संगीत कश्मीर की असली पहचान है। इस परंपरा को यहां के संतों और बुजुर्गों ने आगे बढ़ाया है, जिसे हमें हमेशा के लिए बचाए रखना चाहिए। इस कला को धीरे-धीरे मरते हुए देख मेरा दिल टूट जाता है। कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सूफियाना समूह में बेटियों और अन्य लड़कियों के प्रयास एक दिन निश्चित रूप से फल देंगे। सरकारी संस्थानों को उन्हें समर्थन प्रदान करना चाहिए।'
सूफियाना समूह ने अबतक कश्मीर के बाहर भी प्रदर्शन किया है। जहां लोगों ने उनके संगीत की सराहना की है। ग्रुप को कई पुरस्कार मिलने से लड़कियां उत्साहित महसूस कर रही हैं। इरफाना ने कहा कि यह सूफी संगीत के लिए प्यार ही था जो उन पांचों को एक साथ लाया। अब हम सूफी संगीत के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।
कॉन्टेन्स सोर्सः आवाज द वाइस
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