World Population Day: मुस्लिम देशों में बढ़ती जनसंख्या के बारे में 10 मिथक का जानें सच

Published : Jul 11, 2025, 10:16 AM ISTUpdated : Jul 11, 2025, 12:19 PM IST
common myths increasing population in Muslim countries

सार

Muslim countries population: विश्व जनसंख्या दिवस पर जानिए मुस्लिम कम्यूनिटी की बढ़ती जनसंख्या से संबंधित मिथक और उनके फैक्ट के बार में। 

World Population Day 2025: 11 जुलाई को दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करवाना है। दुनियाभर के कुछ देशों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।  मुस्लिम देशों में बढ़ती जनसंख्या के बारे में लोगों के बीच आम मिथक या गलत जानकारियां हैं। इस खास दिन पर आइए जानते हैं उनके पीछे की सच्चाई क्या है।

मुस्लिम देशों की बढ़ती जनसंख्या संबंधित मिथक

1.मिथक: धार्मिक मान्यताओं के कारण मुसलमानों के परिवार बहुत बड़े होते हैं। 

फैक्ट: मुसलमानों में प्रजनन दर ज्यादा होने का मुख्य कारण सोशल-इकोनॉमिक फैक्टर हैं, न कि धार्मिक सिद्धांत। जैसे-जैसे आर्थिक स्थिति बेहतर होती है, मुसलमानों में प्रजनन दर घटती जाती है। 

2.मिथक: मुसलमान फैमिली प्लानिंग नहीं करते हैं। 

फैक्ट: मुसलमानों में फैमिली प्लानिंग की जाती है लेकिन ये दर अन्य कम्यूनिटी से थोड़ी ही कम होती है। साथ ही यह अंतर तेजी से कम हो रहा है। अब मुसलमानों में भी गर्भनिरोधक के साथ फैमिली प्लानिंग की स्वीकारता बढ़ रही है।

3.मिथक: मुसलमान धार्मिक निर्देशों के कारण अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं। 

फैक्ट: कोई भी इस्लामी धर्मग्रंथ या मुख्यधारा का धर्मगुरु जनसंख्या वृद्धि को धार्मिक कर्तव्य नहीं मानता। इस्लाम धर्म परिवार नियोजन के पक्ष में है।

4.मिथक: मुस्लिम देश जनसंख्या विस्फोट का सामना कर रहे हैं। 

फैक्ट: सभी मुस्लिम देश में जनसंख्या विस्फोट नहीं हो रहा। कुछ मुस्लिम बहुल देशों में जन्म दर ऊंची है। वहीं कई देश ऐसे भी है जहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सेवा और शहरीकरण के कारण जनसंख्या कम है।

5.मिथक: भारत जैसे देशों में मुसलमानों की संख्या जल्द ही गैर-मुसलमानों से ज्यादा हो जाएगी। 

फैक्ट: जनसांख्यिकी अनुमानों से पता चलता है कि भारत में मुसलमानों की संख्या हिंदुओं से ज्यादा होने में लंबा समय लगेगा। मुसलमानों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है लेकिन ये गैर मुसलमानों से ज्यादा नहीं होगी।

6.मिथक: मुस्लिम पुरुषों की आमतौर पर चार पत्नियां और कई बच्चे होते हैं। 

फैक्ट: मुसलमानों में बहुविवाह रेयर है और ज्यादातर मुसलमानों की केवल एक ही पत्नी होती है। इस रूढ़िवादिता का कोई प्रूफ नहीं है।

ये भी पढ़ें: दुनिया की कुल आबादी का 35% इन 2 देशों में, बाकी के 65% में 90 देश

7.मिथक: मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि राजनीतिक सत्ता हासिल करने की एक साजिश का नतीजा है।

फैक्ट: ऐसे दावे राजनीति से प्रेरित और निराधार होते हैं। 

8.मिथक: मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि राष्ट्रीय जनसंख्या समस्याओं के लिए जिम्मेदार है।

फैक्ट: जनसंख्या वृद्धि कई फैक्टर्स से प्रभावित होती है, जिनमें गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच शामिल है। ये किसी भी धर्म में हो सकता है। किसी एक धर्म को दोष देना गलत है।

9.मिथक: मुस्लिम समुदाय आधुनिक शिक्षा और जन्म नियंत्रण को अस्वीकार करते हैं। 

फैक्ट: मुसलमान आधुनिक शिक्षा और परिवार नियोजन को अपना रहे हैं इस कारण से जन्म नियंत्रण का प्रयास बढ़ रहा है।

10.मिथक: मीडिया मुस्लिम जनसंख्या के रुझानों को सही रूप से प्रस्तुत करता है। 

फैक्ट: मीडिया अक्सर मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि के बारे में सनसनीखेज मिथकों और गलत सूचनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। इस कारण से कई बार धर्मों के बीच मतभेद की स्थिति पैदा हो जाती है।

 सामाजिक-आर्थिक विकास के कारण जनसंख्या पर भी असर पड़ता है। इसका असर एक नहीं बल्कि सभी धर्मों पर पड़ता है। परिवार में जितने कम बच्चे होंगे, उनका विकास उतनी अच्छी तरीके से किया जा सकेगा। 

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