कोरोना संकट में किसी न किसी बहाने लोग कर रहे हैं सुसाइड, जानें कैसे संभव है बचाव

कोरोना माहामारी और लॉकडाउन के दौरान लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने की काफी खबरें सामने आ रही हैं। आत्महत्या करने वालों में हर वर्ग के लोग शामिल हैं। दरअसल, जब डिप्रेशन अपने चरम पर पहुंच जाता है, तो उसकी परिणति आत्महत्या में ही होती है। इसकी अलग-अलग वजहें हो सकती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना माहामारी और लॉकडाउन के दौरान लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने की काफी खबरें सामने आ रही हैं। आत्महत्या करने वालों में हर वर्ग के लोग शामिल हैं। दरअसल, जब डिप्रेशन अपने चरम पर पहुंच जाता है, तो उसकी परिणति आत्महत्या में ही होती है। इसकी अलग-अलग वजहें हो सकती हैं। अभी दो दिन पहले बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली। इसकी खबर मीडिया के जरिए देश और विदेश में तुरंत फैल गई, लेकिन बहुत लोगों की आत्महत्या की खबरें सामने नहीं आ पातीं। ऐसा देखा गया है कि किसी भी महामारी के दौरान ज्यादा संख्या में लोग आत्महत्या करने लगते हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बहुत से लोग कठिन परिस्थितियों के दबाव को झेल नहीं पाते और आत्महत्या कर लेते हैं। कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों की संख्या में लोगों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है, जिनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई है।

1. कौन कर सकते हैं आत्महत्या की कोशिश
आत्महत्या की कोशिश डिप्रेशन का शिकार कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वह अमीर है या गरीब। गरीब लोग बेहद अपमानजनक स्थिति आने पर आत्महत्या का रास्ता अख्तियार करते हैं, वहीं अमीर वर्ग के लोग भी कर्ज में डूब जाने, प्यार में धोखा मिलने या गहरे अवसाद में होने पर आत्महत्या कर लेते हैं। आर्थिक स्थिति का खराब होना और कर्ज आत्महत्या की बड़ी वजह है। कोरोना संकट के दौर में गरीब लोगों की हालत बेहद खराब होती जा रही है।

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2. आवेश में आकर भी लोग करते हैं आत्महत्या
आत्महत्या करने का निर्णय कोई अचानक नहीं लेता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय तक डिप्रेशन में रहने की वजह से लोग सोचने-समझने की क्षमता खो बैठते हैं। ऐसे लोग अपनी जिंदगी से असंतुष्ट और निराश होते हैं। बाहर से देखने में ये लोग सामान्य लग सकते हैं, लेकिन किसी भी तात्कालिक समस्या से आवेश में आकर ये आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा सकते हैं। 

3. कैसे करें इनकी पहचान
डिप्रेशन के शिकार सभी लोग आत्महत्या जैसा कदम उठा लें, यह जरूरी नहीं है। जो लोग माइल्ड यानी कम डिप्रेशन के शिकार हैं, वे उदास तो रहते हैं, पर जिंदगी के प्रति उनका मोह बना रहता है। लेकिन गंभीर रूप से डिप्रेशन के शिकार लोग आत्महत्या जैसा कदम किसी मामूली बात को लेकर भी उठा सकते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर पाना आसान नहीं है। वैसे, जो व्यक्ति बार-बार मरने की बात करे, हमेशा यह कहे कि जीना बेकार है, उसकी जिंदगी का कोई मतलब नहीं, तो सावधान हो जाना चाहिए और उस पर हमेशा नजर रखनी चाहिए।

4. डिप्रेशन के मरीज को अकेला मत छोड़ें
अगर आपके घर में कोई डिप्रेशन का शिकार हो गया हो, तो उसे कभी अकेला मत छोड़ें। उसकी स्पेशल केयर करें। उससे हमेशा प्यार और सहानुभूति के साथ बात करें। अगर उसकी किसी हरकत से आपको चिढ़ होती हो तो भी खुद पर काबू रखें। डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति किसी समस्या के बारे में बताता है तो उसे कहें कि इसका जल्दी समाधान हो जाएगा। इसके साथ ही डिप्रेशन के मरीज को कभी भी कमरा बंद कर के अकेले सोने मत दें।

5. मनोचिकित्सक की सलाह जरूरी
अगर आपको लगता है कि कोई गहरे अवसाद का शिकार है, तो उसे तत्काल किसी मनोचिकित्सक से दिखलाएं। ऑनलाइन भी मनोचिकित्सक की राय ली जा सकती है। आजकल डिप्रेशन को कम करने वाली काफी अच्छी दवाइयां आ गई हैं। दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से लोग तरह-तरह की चिंता के शिकार हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इस महामारी ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाला है। लॉकडाउन की वजह से लोगों में अकेलापन और अवसाद बढ़ा है। 


 

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