
Broken Relationship:हर रिश्ता शादी या सुखद अंत तक नहीं पहुंचता। हम चाहे जितनी कोशिश कर लें, कभी-कभी दो लोग एक-दूसरे के लिए नहीं बने होते और यह बात स्वीकार करना बेहद मुश्किल होता है। खासकर तब जब आप उस इंसान से प्यार करते हों। बाहर से देखने वाले अक्सर ये सवाल करते हैं, "आप उस रिश्ते में क्यों हैं?" लेकिन असलियत इससे कहीं ज्यादा कॉम्प्लेक्स होती है।
यहां हम बता रहे हैं कि आखिर क्यों लोग अक्सर ऐसे रिश्तों में बने रहते हैं, जिनका कोई फ्यूचर नहीं होता है।
कई बार लंबे समय तक किसी के साथ रहने के बाद अकेले होने का ख्याल ही डरावना लगने लगता है। जब कोई हमेशा साथ रहने वाला व्यक्ति चला जाता है, तो उस खालीपन को सह पाना आसान नहीं होता। अकेलेपन का डर लोगों को उस रिश्ते में बने रहने को मजबूर करता है, जिसमें वो खुश नहीं होते हैं।
जब एक रिश्ता आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका हो, तो उसमें अटक जाना आसान हो जाता है। यह चाहे जितना भी बुरा क्यों न हो, लेकिन वह आपके लिए सामान्य बन चुका होता है। अनजाने की तुलना में जाने-पहचाने दर्द में लोग खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
हम खुद को यह मानने नहीं देना चाहते कि हमने गलत इंसान को चुना। इसलिए जब रिश्ते में समस्याएं सामने आती हैं, तो हम उन्हें या तो अनदेखा कर देते हैं या उन्हें छोटी बात कहकर दबा देते हैं।
कई बार हम खुद से ज्यादा अपने पार्टनर की इमोशन की परवाह करते हैं। उन्हें दुख देने का ख्याल ही हमें रोक देता है। हम उन्हें टूटता नहीं देखना चाहते, इसलिए खुद को धीरे-धीरे तोड़ते रहते हैं।
जब हम किसी रिश्ते को बचाना चाहते हैं, तो हम हर छोटी सी पॉजिटिव चीज को बड़ा बना देते हैं। जैसे अगर पार्टनर ने एक दिन बर्तन धो दिए, तो हमें लगता है कि यह रिश्ते को बचाने के लिए काफी है। हम एक दिन के काम को ज्यादा अहमियत देते हैं रिश्ता बचाने के लिए।
कभी-कभी यह सिर्फ इमोशन नहीं, बल्कि शारीरिक सुरक्षा का भी मामला होता है। यदि रिश्ता अपमानजनक या हिंसक हो, तो वहां से निकलना आसान नहीं होता। डर और खतरे की वजह से लोग उस रिश्ते में बने रहते हैं।
दोस्तों, परिवार, या यहां तक कि पार्टनर की तरफ से भी यह दबाव महसूस हो सकता है कि आपको रिश्ते में बने रहना चाहिए। "लोग क्या कहेंगे?" इस सोच की वजह से भी लोग अपनी खुशी की कीमत पर रिश्ते को खींचते रहते हैं।
प्यार में अक्सर लोग यह सोचते हैं कि शायद एक दिन सब ठीक हो जाएगा। वो बदल जाएगा/जाएगी", "ये सब फेज़ है"। ऐसी उम्मीदें आपको एक बेमानी रिश्ते में फंसे रखती हैं।