
FAFO Parenting Trend: इन दिनों पेरेंटिंग की दुनिया में एक नया ट्रेंड वायरल हो रहा है, जिसे फएफओ पेरेंटिंग (FAFO Parenting)कहा जा रहा है। यह शब्द भले ही सुनने में नया लगे, लेकिन इसका सिद्धांत बहुत पुराना है, बच्चों को उनके फैसलों के नतीजे खुद अनुभव करने देना। FAFO का मतलब है "F* Around and Find Out', यानी जब तक खुद गलती करके न सीखो, तब तक समझ नहीं आता। इस ट्रेंड को मॉडर्न पैरेंट्स तेजी से अपना रहे हैं, खासकर उन लोगों के बीच जो न तो जरूरत से ज्यादा सख्त बनना चाहते हैं, और न ही ओवरप्रोटेक्टिव।
FAFO Parenting एक ऐसा पेरेंटिंग स्टाइल है जिसमें माता-पिता बच्चों को नेचुरल कंसिक्वेंस (नेचुरल रिजल्ट) का सामना करने देते हैं, बजाय इसके कि वो हर छोटी गलती पर सजा दें या उन्हें हर समय बचाएं। उदाहरण के लिए-अगर बच्चा जैकेट पहनने से मना करता है, तो उसे सर्दी लगने दी जाती है ताकि वह अगली बार खुद सीख जाए। या अगर बच्चा होमवर्क करना भूल जाता है, तो उसे स्कूल में शिक्षक की डांट का सामना करने दिया जाता है। इस स्टाइल में ना तो हर वक्त टोकाटाकी होती है और ना ही फिजूल की पनिशमेंट। इसका मकसद है कि बच्चे खुद अपनी जिम्मेदारी समझें और अपनी गलतियों से सीखें।
यह पेरेंटिंग स्टाइल जेंटल पेरेंटिंग और हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग (माता-पिता ओवर प्रोटेक्टिव होते हैं) के बीच का बैलेंस्ड रास्ता है।
इससे बच्चों में स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है।
वे जल्दी समझ पाते हैं कि उनके हर एक्शन का एक कंसिक्वेंस होता है-अच्छा या बुरा।
इससे पावर स्ट्रगल भी कम होते हैं क्योंकि बच्चे खुद अपनी जिम्मेदारी लेने लगते हैं।
माता-पिता को हर बात पर कंट्रोल नहीं करना पड़ता, जिससे उनका खुद का स्ट्रेस भी कम होता है।
मनोवैज्ञानिकों और पेरेंटिंग एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चों को हर छोटी-बड़ी परेशानी से बचाना उन्हें कमजोर बनाता है। जब बच्चे अपनी गलतियों से सीखते हैं, तो वो ज्यादा मजबूत, समझदार और आत्मनिर्भर बनते हैं। FAFO Parenting बच्चों को यह सिखाता है कि हर फैसले की एक कीमत होती है और उसे खुद चुकाना ही असली सीख है। यह उन्हें सिर्फ एक अच्छे स्टूडेंट या बेटे-बेटी नहीं, बल्कि भविष्य का एक जिम्मेदार और सक्षम इंसान बनाता है।
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