
Social Media Impact on Love Life: आज के डिजिटल दौर में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह उठते ही हम सबसे पहले अपना फोन चेक करते हैं, किसका मैसेज आया, कौन ऑनलाइन है, किसने पोस्ट डाली या किसने नहीं देखी। रिश्तों में भी अब ये ‘लास्ट सीन’, ‘टाइपिंग…’ लाइक, कॉमेंट, सेव, शेयर और ‘ब्लू टिक’ जैसे शब्द इमोशन का हिस्सा बन चुके हैं। जहां कभी रिलेशनशिप भरोसे और बातचीत पर टिकते थे, वहीं अब सोशल मीडिया ने हर रिलेशन की मीनिंग बदल दी है।
सोशल मीडिया ने रिश्तों में एक नया आयाम जोड़ा है, वर्चुअल कनेक्शन। आज लोग अपने पार्टनर के साथ समय बिताने से ज्यादा ऑनलाइन एक्टिविटी पर ध्यान देते हैं। अगर किसी का ‘लास्ट सीन’ देखा लेकिन रिप्लाई नहीं आया, तो शक या इंसिक्योरिटी पैदा होने लगती है। धीरे-धीरे ये आदत रिश्ते में इमोशनल डिस्टेंस बना देती है, क्योंकि पार्टनर एक-दूसरे की ऑनलाइन मौजूदगी को असली रिश्ते की गहराई से ज्यादा महत्व देने लगते हैं। कपल के बीच मैसेज देखकर छोड़ देना बहुत बड़ी बात है, लोगों को लगने लगता है कि सामने वाले ने मुझे इग्नोर किया।
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सोशल मीडिया पर दूसरों के परफेक्ट कपल फोटो, वेकेशन वीडियो या रोमांटिक पोस्ट देखकर लोग अपने रिलेशन से तुलना करने लगते हैं। यह कंपैरिजन धीरे-धीरे असंतोष और इंसिक्योरिटी में बदल जाता है। लोग भूल जाते हैं कि सोशल मीडिया सिर्फ हाइलाइट्स दिखाता है, पूरी कहानी नहीं। नतीजा, पार्टनर के बीच झगड़े, गलतफहमियां, जिद और खुद के रिश्ते को कम आंकने की आदत होने लगती है।
‘पासवर्ड शेयर करो’, ‘फोन क्यों लॉक है’, ‘किससे चैट कर रहे थे’, ये सवाल आज हर दूसरे रिश्ते का हिस्सा बन चुके हैं। सोशल मीडिया ने ट्रस्ट को वेरिफिकेशन से जोड़ दिया है। जहां पहले भरोसा रिश्ते की नींव था, वहीं अब लोग एक-दूसरे की ऑनलाइन एक्टिविटी को जजमेंट का पैमाना मानने लगे हैं। इससे रिश्तों में ईमानदारी से ज्यादा जासूसी बढ़ गई है।
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कई कपल्स एक ही कमरे में होते हैं, लेकिन दोनों का ध्यान अलग अलग स्क्रीन पर होता है। ‘एक साथ लेकिन अलग-अलग’, यही आज की सबसे बड़ी सच्चाई है। सोशल मीडिया पर लगातार स्क्रॉल करना, दूसरों से चैट करना, या रील्स बनाना पार्टनर के बीच बातचीत को कम करता है। ये इमोशनल कनेक्शन को कमजोर कर देता है, जिससे रिश्ते में खालीपन महसूस होने लगता है।
पहले रिश्ते की परेशानियां सिर्फ दो लोगों तक सीमित रहती थीं, लेकिन अब कई कपल्स सोशल मीडिया पर अपने गुस्से या नाराजगी का इशारा पोस्ट या स्टोरी के जरिए करने लगे हैं। इससे न सिर्फ रिश्ते की प्राइवेसी खत्म होती है, बल्कि दूसरों की राय रिश्ते में दखल देने लगती है। पब्लिक वेलिडेशन की ये चाह रिश्ते की असली मजबूती को कमजोर करती है।
सोशल मीडिया रिश्तों को तोड़ता नहीं, बल्कि उसे संभालने की टेस्ट लेता है। अगर इसे समझदारी से इस्तेमाल किया जाए तो यह कपल के बीट कम्युनिकेशन को बेहतर और बहुत अच्छा बना सकता है, लेकिन अगर ओवर थिंकिंग और शक हावी हो जाएं तो यही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपके रिश्ते को बर्बाद कर देता है। जरूरी है कि ऑनलाइन प्रेजेंस से ज्यादा रियल कनेक्शन को महत्व दिया जाए और अपने रिलेशन को सोशल मीडिया से ज्यादा महत्व दें।