प्रेमानंद जी महाराज की 5 ऐसी बातें जो जीवन को बदल सकती हैं

Published : Jun 24, 2025, 07:46 AM ISTUpdated : Jun 24, 2025, 04:01 PM IST
Virat anushka with premanand Ji maharaj

सार

Premanand Ji Maharaj: आज के तेज रफ्तार भरे जीवन में हर किसी पर खुद को साबित करने का दबाव रहता है। ऐसे में भीतर की शांदी, मकसद और स्पष्टता की तलाश पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। जिसका हल प्रेमानंद जी महाराज दे रहे हैं। 

Premanand Ji Maharaj Vichar: भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी को सुकून की तलाश है। लाइफ में सफलता के साथ सुकून भी मिले उन्हें भटकना ना पड़े ऐसी सोच आज के दौर में हर इंसान के अंदर है। इन्हीं तलाशों के बीच वृंदावन के आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज की सादगी भरी लेकिन गहराई से भरी बातें लोगों के मन को छू रही हैं। बिना किसी प्रचार के, बिना सोशल मीडिया के दिखावे के, उन्होंने हर उम्र के लोगों छात्रों, प्रोफेशनल्स और यहां तक कि पब्लिक फिगर्स को भी प्रभावित किया है। उनकी बातें जटिल नहीं होती है, बल्कि सीधे दिल को छूती है। तनाव, अपेक्षाओं, इगो, रिश्ते में भटकाव और इमोशनल अंसतुलन जैसे रोजमर्रा के संघर्षों को सरल तरीके से समाने में वो माहिर हैं। यहां जानें प्रेमानंद जी महाराज की 5 अहम शिक्षाएं जो आज के समज में बेहद रिलेवेंट है।

1.सच्चा सुकून पाने के लिए छोड़ना सीखिए, पकड़ना नहीं

महाराज जी का मानना है कि हमारी अधिकांश मानसिक अशांति इस वजह से होती है क्योंकि हम हर चीज पर कंट्रोल बनाएं रखना चाहते हैं। तुम अपना कर्म करों बाकी ईश्वर पर छोड़ दो। उनका कहना है छोड़ना कायरता नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है। जब हम ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करते हैं, तो मन हल्का होता है और चिंता कम होती है।

2.सफलता सिर्फ मेहनत से नहीं, ईश्वरीय कृपा से भी मिलती है

महाराज जी मानते हैं कि ना तो सफलता केवल भाग्य से मिलती है, ना ही सिर्फ परिश्रम से ये दोनों का संगम है। कई लोग सोचते हैं कि सब कुछ उन्होंने अपने दम पर किया, और कुछ लोग मानते हैं कि सब भगवान की कृपा है। लेकिन महाराज जी बताते हैं कि सच्ची सफलता मेहनत, अच्छे कर्म और ईश्वर की कृपा तीनों के मेल से मिलती है।

3.बाहर की दुनिया बदलेगी, लेकिन तुम्हारा अंदर स्थिर रहना चाहिए

जीवन में उतार-चढ़ाव आना तय है, नौकरी का संकट, रिश्तों में बदलाव, या निजी हानि। महाराज जी सिखाते हैं कि इन सबके बीच हमें अपने भीतर की स्थिरता बनाए रखनी चाहिए। बुरे समय में टूटो मत और अच्छे समय में फूलो मत।

4.शब्दों का ध्यान रखो, क्योंकि वे सिर्फ बात नहीं बनाते, रिश्ते भी बनाते हैं

क्रोध या तनाव में हम ऐसे शब्द कह जाते हैं जो हमें बाद में पछतावा देते हैं। महाराज जी बार-बार कहते हैं कि शब्दों में ऊर्जा होती है वे सामने वाले को प्रभावित करने के साथ-साथ खुद पर भी असर डालते हैं। कोमल बोलना जरूरी नहीं, लेकिन जागरूक बोलना जरूरी है।

5.उपलब्धियों को चुपचाप रखो, अहंकार को आगे न चलने दो

आज की दुनिया में जैसे-जैसे लोग सफल होते हैं, वैसे-वैसे उनका अहंकार भी बड़ा हो जाता है। लेकिन महाराज जी खुद एक सरल जीवन जीते हैं, और सिखाते हैं कि भीतर की उन्नति ही असली उपलब्धि है, बाहर का दिखावा नहीं। जो सच में बड़ा होता है, वह चुपचाप चलता है।

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