
Co-Parenting Tips: तलाक किसी के लिए आसान नहीं होता, खासकर जब इसमें बच्चे शामिल हों। माता-पिता के अलगाव का असर बच्चों के मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर गहरा पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता उन्हें समझदारी और प्यार से इस कठिन दौर से निकालें। अगर आप तलाक के बाद अपने बच्चों की भावनाओं को समझने और संभालने के तरीके ढूंढ रहे हैं, तो यहां दिए गए 7 कारगर उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।
अक्सर माता-पिता अपने अलगाव की वजह छुपा जाते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। बच्चों से सच्चाई छिपाने की बजाय, उन्हें प्यार और सिंपल लैग्वेंज में बताएं कि क्या हो रहा है। लंबी-लंबी वजहें बताने से वे और उलझ सकते हैं, इसलिए बातें सरल रखें। उन्हें भरोसा दिलाएं कि चाहे हालात बदल जाएं, लेकिन आपका प्यार उनके लिए हमेशा एक जैसा रहेगा। बच्चों को दोष या जिम्मेदारी महसूस न होने दें, और कभी भी अपने पार्टनर को बुरा कहकर उनका मन न भरें।
हर उम्र के बच्चों की समझ और इमोशनल जरूरते अलग होती हैं। शिशु (0-2 वर्ष)-वे माहौल का तनाव महसूस करते हैं। उनकी डेली रूटीन और प्यार भरा वातावरण बनाए रखें।
टॉडलर (2-4 वर्ष)-वे ज्यादा चिपकने लगते हैं या पहले जैसे व्यवहार में लौट आते हैं (जैसे अंगूठा चूसना)। उन्हें बार-बार भरोसा दिलाएं।
स्कूल जाने वाले बच्चे (6-11 वर्ष): इन्हें समझ नहीं आता कि गलती किसकी है। इन्हें प्यार, रूटीन और एक्टिविटीज के जरिए व्यस्त रखें।
टीनेजर्स (12+): वे गुस्सा, उदासी या विद्रोह दिखा सकते हैं। उनके साथ बातचीत करें और उन्हें अपनी भावनाएं साझा करने दें।
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तलाक के बाद बच्चों को सबसे ज्यादा जरूरत सुरक्षा और स्थिरता की होती है। उनकी दिनचर्या (खाना, सोना, स्कूल) नियमित रखें। घर में नए रिवाज और फैमिली टाइम बनाएं, ताकि उन्हें लगे कि परिवार अब भी साथ है। नए रिश्तों को जल्दबाजी में जीवन में शामिल न करें। पहले बच्चों को नए हालात के साथ एडजस्ट करने दें।
बच्चों को यह महसूस होने दें कि वे अपने दोनों माता-पिता के बारे में खुलकर बात कर सकते हैं। इमोशन चार्ट या “फीलिंग जर्नल” जैसी चीजों से उन्हें अपनी भावनाएं पहचानने और व्यक्त करने में मदद करें। अगर वे तनाव में हैं या उन्हें शारीरिक तकलीफ महसूस हो रही है (जैसे सिरदर्द, पेट दर्द), तो समझें कि यह मानसिक तनाव का असर हो सकता है। जरूरत हो तो किसी चाइल्ड काउंसलर या पीडियाट्रिशन की मदद लें।
अच्छा को-पेरेंटिंग यानी मिलकर पालन-पोषण करना बच्चों के लिए बेहद जरूरी है। अपने पूर्व-पार्टनर के प्रति कटुता या प्रतिस्पर्धा से बचें। बच्चों के सामने कभी भी एक-दूसरे की बुराई न करें। छुट्टियों और त्योहारों के लिए पहले से प्लान बनाएं ताकि बच्चे कंफ्यूज ना हो।
तलाक के बाद खुद की देखभाल (Self-Care) उतनी ही जरूरी है जितनी बच्चों की। नियमित एक्सरसाइज, ध्यान या जर्नलिंग करें। पर्याप्त नींद और पौष्टिक आहार लें। किसी सपोर्ट ग्रुप या काउंसलर से बात करें। जब आप खुद मजबूत रहेंगे, तभी अपने बच्चे को इमोशनल स्टेबिलिटी दे सकते हैं।
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