
Kareena Kapoor Father Mother Relationship: अक्सर गुस्से में हम अपने पार्टनर से कह देते हैं, 'जाओ ना, छोड़ दो हमें, हम जी लेंगे... हमारे पास पैसा है, हमें किसी की जरूरत नहीं।' लेकिन क्या सच में सिर्फ पैसों के सहारे जिंदगी पूरी तरह जी जा सकती है, बिना अपने साथी के? करीना कपूर के माता-पिता, रणधीर कपूर और बबीता, दोनों के पास अपार संपत्ति रही है। दोनों करीब 37 साल तक अलग-अलग रहे, लेकिन बुढ़ापे में फिर एक साथ आ गए। आइए पहले जानते हैं करीना और करिश्मा के माता-पिता की कहानी, और फिर बात करेंगे रिश्तों की असली अहमियत की।
करीना कपूर ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में खुलासा किया कि उनके माता-पिता अभिनेता रणधीर कपूर और एक्ट्रेस बबीता अब अपने बुढ़ापे की जिंदगी एक साथ बिताना चाहते हैं, हालांकि सालों पहले वे अलग हो चुके थे। उन्होंने कहा कि हमारे लिए ये एक पूर्ण चक्र की तरह है। जहां से उनकी यात्रा शुरू हुई थी, वहीं आकर अब वो फिर से एक साथ हैं।'
बता दें कि रणधीर और बबीता की शादी 1971 में हुई थी, लेकिन 1988 के बाद वे अलग रहने लगे। हालांकि उन्होंने कभी तलाक नहीं लिया। दोनों ने अपनी बेटियों करिश्मा और करीना कपूर की परवरिश शानदार तरीके से की।
करीना ने अपनी मां बबीता के परवरिश के लिए धन्यवाद भी कहा। उन्होंने बताया कि उस दौर में जब कपूर फैमिली की महिलाएं फिल्मों में काम नहीं करती थीं, मां की वजह से करिश्मा ने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। मां ने उनके लिए रास्ता खोला। पापा को भी मानना पड़ा कि मां ही प्राइमरी केयरगिवर हैं और अगर पिता उनका साथ ना दें तो बच्चे बेहद खूबसूरती से बड़े हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता ने भी उनका पूरा सपोर्ट किया करियर में।
रणधीर कपूर ने एक पुराने इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि बबीता उनसे अलग इसलिए हो गई थीं क्योंकि उन्हें रणधीर की आदतें पसंद नहीं थीं शराब पीना, देर रात घर आना आदि। उन्होंने कहा कि उसने मुझे वैसे स्वीकार नहीं किया जैसे मैं था। लेकिन हमने अपने बच्चों को बहुत अच्छे से पाला और वही मेरे लिए सबसे बड़ी बात है।
आज, जब जिंदगी ढलान की ओर है दोनों फिर से साथ रहना चाहते हैं। शायद यही रिश्तों की सबसे खूबसूरत बात होती है। जब चोटें भर जाती हैं और रह जाती है सिर्फ परवाह।
हम अक्सर सोचते हैं कि हमारा पार्टनर बिल्कुल हमारे मुताबिक क्यों नहीं है। झगड़े होते हैं, मतभेद होते हैं और गुस्से में कहे गए शब्द चुभ जाते हैं। पर सच्चाई ये है कि कोई रिश्ता परफेक्ट नहीं होता।
बच्चे बड़े हो जाते हैं और उनकी अपनी एक दुनिया हो जाती है। ऐसे में पार्टनर ही एक दूसरे का सहारा होते हैं। रणधीर और बबीता भले ही दौलत के मामले में आत्मनिर्भर हैं। लेकिन उनके बच्चे अपनी-अपनी लाइफ में बिजी हैं। ऐसे में एक दूसरे की तन्हाई वो मिलकर ही दूर कर सकते हैं।