भारत में भी तेजी से लिव इन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट बढ़ रहा है। समलैंगिग रिश्ता रखने वाले भी खुलकर सामने आ रहे हैं। भारतीय संस्कृति से इतर बढ़ रहे इस चलन को लेकर नितिन गडकरी की क्या राय है आइए जानते हैं।
रिलेशनशिप डेस्क. प्यार करना जुर्म नहीं हैं, लेकिन शादी से पहले एक साथ लिव इन में रहना भारतीय संस्कृति में गलत मना गया है। लेकिन आज के दौर में लिव इन रिलेशनशिप का चलन तेजी से बढ़ रहा है। समलैंगिग रिश्ता रखने वाले भी खुलकर सामने आ रहे हैं और अपने लिए कानूनी अधिकार की मांग कर रहे हैं। मॉर्डन युग में पनप रहे इस दो कल्चर से बीजेपी नेता नितिन गडकरी इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्होंने इस समाज के लिए गलत बताया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में लिव-इन रिलेशनशिप और सेम सेक्स मैरेज पर अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये समाज के नियमों के खिलाफ हैं और इससे सामाजिक ढांचे के टूटने का खतरा है।यूट्यूब पत्रकार समदिश भाटिया के साथ एक इंटरव्यू में गडकरी से जब लिव इन रिलेशनशिप के बारे में उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने इसे गलत करार देते हुए कहा कि मैं ब्रिटिश संसद में गया था और वहां के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मुलाकात की। मैंने उनसे पूछा कि आपके देश में सबसे बड़ी समस्या क्या है? उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि युवा आबादी का बड़ा हिस्सा शादी नहीं कर रहा है।
जब पूछा गया है कि यह देश को कैसे प्रभावित कर सकता है तो गडकरी ने कहा कि बच्चे कैसे पैदा होंगे और उनका भविष्य क्या होगा। यदि आप सामाजिक जीवनशैली को तोड़ देंगे, तो इसका समाज पर क्या असर पड़ेगा? उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी दिन लोग यह कहने लगें कि हमने मजे के लिए बच्चे पैदा किए और फिर उनकी जिम्मेदारी से हाथ खींच लिया, तो यह समाज में नहीं चल सकता।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे बच्चों को जन्म दें और उनका पालन-पोषण जिम्मेदारी के साथ करें। सेम सेक्स मैरेज पर गडकरी ने कहा कि यह समाज के बैलेंस को बिगाड़ सकता है। उन्होंने बताया कि कल अगर महिलाओं का अनुपात 1500 और पुरुषों का 1000 हो गया, तो हमें पुरुषों को दो शादियां करने की अनुमति देनी पड़ सकती है।
गडकरी से जब पूछा गया कि आइडल भारत में तलाक पर बैन लगना चाहिए, तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल नहीं। लेकिन लिव इन रिलेशनशिप ठीक नहीं हैं।गडकरी ने यह भी कहा कि समाज अपने नियम खुद तय करेगा, लेकिन उन्होंने केवल अपनी राय व्यक्त की है कि यह चलन गलत है।यह समाज को तय करना है कि कौन से नियम सही हैं। मैंने केवल वह बताया जो मुझे गलत लगा।
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