True love story: फ्लाइट के पैसे नहीं थे और स्वीडिश पत्नी से मिलने की थी बेचैनी, भारत से साइकिल चलाकर शख्स पहुंचा यूरोप

रिलेशनशिप डेस्क.हर दिन वो 70 किलोमीटर साइकिल चलाते थे, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार करके अपनी पत्नी से मिलने पहुंचे महानंदिया की लव स्टोरी सुनकर बोल उठेंगे कि ऐसा प्यार कहां। आइए  महानंदिया और स्वीडन शेडविन की लव स्टोरी बताते हैं।

Nitu Kumari | Published : May 25, 2023 4:43 AM IST
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पीके महानंदिया दिल्ली आर्ट यूनिवर्सिटी के गरीब आर्ट स्टूडेंट थे। वो उस वक्त एक कलाकार के रूप में अपना नाम बनाना शुरू ही किया था। लेकिन उनके आर्ट के चर्चे थे। तो शेडविन उनसे मिली और अपना चित्र बनाने को कहा। लेकिन कहते हैं ना किस्मत को जो मंजूर है वो तो होना ही होता है। दोनों को इस दौरान एक दूसरे से प्यार हो गया।

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महानंदिया को जहां उनकी खूबसूरती से प्यार हो गया। वहीं शेडविन को उनकी सादगी से मोहब्बत। इसके बाद दोनों शादी का फैसला किए। बीबीसी के एक पुराने इंटरव्यू के मुताबिक महानंदिया ने बताया कि जब वह पहली बार मेरे पिता से मिली थी तब साड़ी पहनी थी। मुझे अभी भी नहीं पता कि वह कैसे कामयाब रही। मेरे पिता और परिवार के आशीर्वाद से, हमने आदिवासी परंपरा के अनुसार शादी की।

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शादी के कुछ दिन बाद शेडविन को स्वीडन जाना पड़ा। उनके इंडिया में रहने की मियाद पूरी हो गई थी। उन्होंने अपने पति को भी साथ आने के लिए कहा।लेकिन महानंदिया को पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी। लेकिन उन्होंने वादा किया कि वो स्वीडन के बोरास में उनके घर जरूर आएंगे। इसके बाद दोनों के बीच लेटर के जरिए बातचीत होने लगी।

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एक साल बाद महानंदिया ने अपनी पत्नी शेडविन से मिलने की योजना बनाई। लेकिन उनके पास हवाई टिकट खरीदने के पर्याप्त पैसे नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपना सबकुछ बेचकर एक साइकिल खरीद ली। 22 जनवरी, 1977 को अपनी यात्रा शुरू की और वह प्रतिदिन लगभग 70 किमी साइकिल चलाते थे।

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चार महीने तक वो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की की सीमा को पार किया। रास्ते में कई बार साइकिल खराब भी हुई। कई दिनों तक भूखे-प्यासे भी रहना पड़ा। लेकिन पत्नी के प्यार और उससे मिलने की इच्छा ने उन्हें टूटने नहीं दिया। वो बताते हैं कि कला ने मेरी सुरक्षा दी। रास्ते में मैं लोगों की तस्वीरें बनाता था तो कोई मुझे पैसे देता था तो कोई खाने को। किसी के यहां रात गुजराने के लिए छत मिल जाती थी।

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महानंदिया 28 मई 1977 को इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचा और फिर ट्रेन से गोथेनबर्ग पहुंचे। अपनी पत्नी से मिलने के बाद वो वहां पर आधिकारिक शादी की। वो बताते हैं कि मुझे यूरोपीय संस्कृति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यह मेरे लिए बिल्कुल नया था, लेकिन उसने हर कदम पर मेरी पत्नी ने मेरा साथ दिया। वो एक स्पेशल महिला है। जिस तरह मैं 1975 में उसके प्यार में था आज भी बिल्कुल वैसा ही प्यार में हूं। महानंदिया स्वीडन में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। वहां पर एक आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हैं।

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