
Premanand Ji Mahraj: आज के दौर में लड़का-लड़की शादी से पहले ही वो सबकुछ कर बैठते हैं जिसे हमारे समाज में गलत बताया गया है। शारीरिक संबंध को लेकर भारतीय समाज में नियम है कि शादी के बाद ही एक लड़का-लड़की को अपने तन एक दूसरे को सौंपने चाहिए। सवाल है कि क्या ये परंपरा सही है और अगर है तो इसके पीछे क्या वजह है? प्रेमानंद महाराज जी ने इसे लेकर कुछ बातें बताई जिसे युवाओं को जरूर जानना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि प्रेम करना गलत नहीं है और लेकिन वो सच्चा होना चाहिए। अगर आप प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो पहले माता-पिता की सहमति लें। आपकी माता-पिता, जिन्होंने आपको पाला-पोसा, उनका अधिकार और सम्मान प्राथमिकता होना चाहिए ।
शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने को प्रेमानंद महाराज जी ने गलत बताया है। उनका कहना है कि शादी अप्रूव होने तक ब्रह्मचर्य यानी संयम बरतना चाहिए। इससे न केवल आत्मिक संतुलन बना रहता है बल्कि वे अपने निर्णय के प्रति जिम्मेदार भी बनते हैं
अगर आपके माता-पिता शादी के लिए नहीं मान रहे हैं तो दूसरे पक्ष के फैमिली से मिलकर उनका नेचर और चरित्र को समझना चाहिए। दो बार मिलकर बातचीत करें उन्हें समझें और फिर शादी का निर्णय लें।
शादी के लिए एक माता-पिता का आशीर्वाद बहुत जरूरी है। इसलिए जब तक हो सकें उन्हें नम्रता और सम्मान के साथ मनाएं। उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने गहरे प्रेम और दोस्ती के आधार पर जीवन साथ निभाना चाहा है, आपकी सहमति हमारी ताकत होगी। ऐसा कहकर उन्हें मनाएं।
प्रेमानंद महाराज जी के इस कथन को हर युवा लड़का-लड़की को मानना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी हम इमोशनल होकर खुद को किसी और का हाथों सौंप देते हैं। लेकिन कई बार वो धोखा देकर निकल जाती है या जाते हैं। हम बस पछतावा करते रह जाते हैं कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। प्यार सच्चा है तो वो शादी तक इंतजार जरूर करेगा।